Tuesday 12 March 2013

hadeesi Hadse 76


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नया पैग़म्बर बहा उल्लाह कहता है - - -
सच्चाई और ईमान दारी की किरन अपने मुंह पर चमकने दो ताकि सब को पता चले कि तुम्हारी बातें , काम और खुशियों के वक़्त क़ाबिले यक़ीन हैं।
अपने को भूल जाओ और सब के लिए काम करो।

मुस्लिम - - - किताबुल हुदूद 
मुहम्मद ने एक शख्स का हाथ काटा 

"अब्दुल्लह बिन उमर कहते हैं कि मुहम्मद ने खुद अपने हाथों से एक शख्स का हाथ काटा, सिपर की चोरी में,जिसकी क़ीमत तीन दरहम थी।"

मामूली सी चोरी पर इतनी बड़ी सज़ा कि खुद पैग़म्बर कहे जाने वाले शख्स ने जल्लाद की तरह मुजरिम का हाथ काट डाले. 
कैसे वह अपनी ज़िन्दगी काटेगा? 
कैसे काम करके अपनी और अपने बाल  बच्चों की रोज़ी कमाएगा ? 
किन के हाथों से खाएगा और किन हाथों से अपनी ग़लाज़त साफ़ करेगा?
इस मोह्सिने इंसानियत कहे जाने वाले ज़ालिम इंसान को इतना भी एहसास नहीं था कि भूख से मर रहे शख्स के पास,जिंदा रहने का कोई रास्ता नहीं होता , वह भी जब रोटी और रोज़ी किस क़द्र दुश्वार थी।
वह शख्स जो जिहाद के नाम पर रातों को बस्तियां लूटा करता था , इंसानी जानों को क़त्ल किया करता था, वह अपने माहौल में इंसाफ के नाटक करके खुद को इंसाफ का पैकर मानता था।

बुख़ारी 1307 
लासिल्की निज़ाम 
"मुहम्मद कहते हैं जब अल्लाह के नज़दीक कोई बन्दा महबूब होता है तो उसकी इत्तेला जिब्रील को दी जाती है कि जिब्रील फुलां बन्दे को अल्लाह महबूब रखता है, तू भी इसे महबूब रख. जिब्रील को वह बन्दा महबूब हो जाता है और वह आसमान में एलान करते हैं कि फुलां बन्दा को अल्लाह महबूब रखता है, तुम लोग भी इसे महबूब रख्खो. चुनांच अहले आसमान इसे महबूब रखते हैं। इसके बाद इसकी मकबूलियत ज़मीन पर कर दी जाती है और तमाम अहले ज़मीन इसे महबूब रखते हैं।" 

* इस साज़िशी हदीस में मुहम्मद ने अपनी तस्वीर जड़ी है कि अल्लाह ने उनको किस तरह से महबूब और मकबूल बनाया . मज़े की बात यह है कि इस साज़िश को मुस्लिम समाज अपने बच्चो को टोपी लगा कर पढ़ता है जो बड़े होकर इन बातों को महफ़िलों में दोहराया करते है। इसे अवाम कठ मुललई कहा करते हैं. ऐसी ख़ुराफ़ात जब हिदू समाज में यही कठ मुल्ले देखते हैं तो उनको शिर्क और बिदअत का शिकार मानते हैं।

ईसा की एक हदीस बतौर नमूना पेश है , दोनों नबियों का मुआजना करें - - -
"तुम बार बार सुनोगे, नहीं समझोगे. तुम बार बार देखोगे मगर तुम को सुझाई नहीं देगा। क्योंकि  इस रिआया की अक्ल कुंद हो चुकी है . यह लोग कान से ऊंचा सुनते हैं , उन्हों ने अपनी आँखें बंद कर ली हैं कि कहीं आँखों से देखने न लगें और कानों से सुनने न लगें कि मन से समझ कर कहीं फिर न जाएँ। मैं तुम से सच कहता हूँ कि बहुतेरे नबी और पैग़म्बर तरसते थे जो तुम देख रहे हो, इन्हें वह देखें मगर नहीं देखा और जो तुम सुन रहे हो, नहीं सुना "( मित्ती )


जीम. मोमिन 

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