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हदीसी हादसे 54
बुख़ारी 1363
हज़रत इस्माइल का क़िस्सा मुहम्मद यूँ बयान करते हैं कि दुध मुहे बच्चे इस्माइल को उनके बाप हज़रात इब्राहीम अपनी बीवी हाजरा के साथ एक वीराने में कुछ खजूर और एक मशक पानी देकर चले जाते हैं .
पानी ख़त्म होने के बाद दोनों माँ बेटे प्यास से तड़पने लगते हैं , हाजरा भाग कर पास की पहाड़ी सफ़ा के पास जाती है और चारो तरफ़ देखती है कि कहीं कोई नज़र आ जाए. फिर पास की पहाड़ी मरवा पर जाती है कि कोई आदम ज़ात दिखे . इस तरह इन पहाड़ियों के वह सात बार चक्कर लगाती है कि तब इसको एक फ़रिश्ता दिखता है जो अपनी एडियों और बाज़ुओं से ज़मीन खोदता है , जहाँ से पानी निकलने लगता है . दोनों माँ बेटे पानी पीकर अपनी जान बचाते हैं . इस वक़्त काबा एक टीला था जिसके पास से बरसाती पानी बह कर निकल जाता था .
इत्तेफ़ाक़ से एक दिन उधर से कबीला जरहम कूच कर रहा था , हाजरा को देख कर उसके पास आया और झरने को देख कर , वहीँ टिक जाने का ख्याल उसके दिल में आया जिसकी इजाज़त चाही तो हाजरा ने इसे वहां टिक जाने की इजाज़त देदी , इस शर्त के साथ की झरने पर इसका हक होगा .
इस तरह इस्माइल वहीँ जवान हो गया और इसी कबीले की लड़की से इसकी शादी हो गई .
बरसों बाद एक दिन इब्राहीम को बेटे की याद आई , वह इस्माइल से मिलने आए मगर बेटा घर पे न था , इसकी बीवी से उन की खैरियत पूछी तो वह बुरे हाल लेकर बैठ गई . इब्राहीम ने कहा वह आए तो कहना घर की चौखट बदल दे , सब ठीक हो जाएगा . रात को जब इस्माइल घर आया तो उसे बाप की आमद की खबर मिली और घर की चौखट बदलने का मशविरा . इस्माइल ने बीवी से कहा वह तुझको तलाक़ देने का मशविरा दे गए हैं .
उसने अपनी बीवी को तलाक़ दे दिया और दूसरी शादी कर ली . दूसरी बार इब्राहीम फिर आए, बेटे से मुलाकात इस बार भी नहीं होती . उसकी बीवी से कह कर चले जाते हैं कि अब चौकट बदलने की ज़रुरत नहीं है .
फिर इब्राहीम आते हैं और इस्माइल से कहते हैं कि मुझको अल्लाह का हुक्म हुवा है कि काबा की तामीर करूँ , ग़रज़ दोनों बाप बेटे पत्थर उठा उठा कर लाते हैं और काबे की दीवार छंटे है .
इस्माइल का यह तौरेती किस्सा जिस क़दर मुहम्मद को याद था और जितना इसकी काट छांट कर ना चाहा , करके इसे कुरआन में पेश किया . तौरेत कहती है कि इबाहीम की लौड़ी हैगर को इबाहीम की बीवी सारा ने मजबूर कर दिया था कि इसे इसके बच्चे के साथ दूर कहीं वीराने में छोड़ आओ कि यह वापस न आ सकें . सारा के बेटे इशाक और फिर इसके बेटे याकूब (इस्राईल) ने लौड़ी जादे इस्माइल और उसके औलादों को हमेशा अपने से कमतर समझा है.
यही सौतेला पन जड़ है अरब के यहूदी और मुसलामानों की दुश्मनी की .
हम हिंदुस्तानी इस पराई लड़ाई में सदियों से पिले हुए हैं . यह उनके मज़हबी और सियासी अकीदे का उनका मामला है .इस्लाम को अपना कर हम ख़सारे में हैं कि न इधर के रहे , न उधर के हुए . इस्लाम को तर्क करके अगर हम नई इंसानी क़द्रें अपना कर दोबारा जनम लें तो हम भारत के सफ़ ए अव्वल की क़ौम में आ सकते हैं .
तेल की दौलत अरबों का वक़्ति वक्ती उरूज है , तेल ख़त्म हो जाने के बाद ये फिर पाताल में होंगे . इस्लाम को अपना कर अफ्रीका आज भी दुन्या से सदियों पीछे भूका नंगा है जब कि वहीँ ईसाइयत को अपना कर कौमें फल फूल रही हैं . इस्लाम से दूर रहकर योरोपीय मुमालिक आसमान छू रहे हैं . इस्लाम पूरी ज़मीन के मुसलमानों को जहन्नम रसीदा कर रहा है ,
जीम. मोमिन
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