Wednesday 15 July 2015

Hadeesi Hadsa 164


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हदीसी हादसे 53


मुस्लिम किताबुल हुदूद 
अनस कहता है कि मुहम्मद शराबियों को चालीस मार 
टहन्यों की या चालीस जूते मारते थे .
मुस्लिम किताबुल हुदूद 
 उस्मान की खिलाफ़त में दो लोग शराबी को पकड़ कर लाए, खलीफा ने कोड़े लगाने का हुक्म दिया . मातहत अली ने अपने बेटे हसन को हुक्म दिया कि उठ कोड़े लगा। हसन ने बाप की हुक्म उदूली करते हुए कहा कि उस्मान ने सजा सुनाई है , वही कोड़े लगाएं।
इसके बाद अली गुस्सा हुए हसन पर और अब्दुल्ला बिन जाफ़र से कहा उठ और कोड़े लगा . अली गिनते गए और चालीस पर बंद किया .
मुहम्मद के बाद अबू बकर ने शराब की सज़ा चालीस कोड़े ही ऱखी थी , मगर उमर ने इसे बढ़ा कर अस्सी कर दिया था जिसे अली ने फिर चालीस कर दिए 
* पिछले दिनों मैं बतला चुका हूँ कि शराब क्यों हराम हुई, इसलिए कि हमजा ने अली को मिले ऊंटों को शराब के नशे में एक रक्कासा के कहने पर मार डाला था।
हुवा ये कि मुहम्मद एन्ड कंपनी खुद भी शराब से महरूम हो गई और मुसलमानों को भी महरूम कर गए . 
मगर हसन जिंदगी भर शराब और शबाब में गुज़री। इनकी 72 बीवियाँ और सैकड़ों बांदियां थीं।
उस्मान और अली की हरीफाई हसन के रविश गवाही देती है।इसी रंजिश में उस्मान क़त्ल हुए।

बुख़ारी 1339
जमहाई लेना शैतानी हरकत 
मुहम्मद कहते हैं कि जम्हाई लेना शैतानी हरकत है, तुम में से जब किसी को जम्हाई आए तो वह हत्तुल इमकान उसे रोके।
* जम्हाई आना अच्छी या बुरी हरकत नहीं बल्कि अलामत है नींद आने की. नव ज़ायदा बच्चा बार बार जम्हाई लेता है जिसमे कठ मुल्ले को शैतान ही नज़र आता है।लाल बुझक्कड़ की खोपड़ी पाई थी, छींक आने पर शुक्र अल्हमदो लिल्लाह कहने को कहते जो बीमारी की अलामत लेकर आती है।  लोग इस मौके पर सोरी बोलते हैं।
काश कि मुसलमान समझ सकें कि वह ख़ुद कितने बड़े शैतान थे।
बुख़ारी 1345
मुर्ग और गधे की आवाजें 
कठ बैठे मुहम्मद कहते हैं कि जब मुर्ग़ की आवाज़ सुनो तो अल्लाह के फ़ज़ल और नेमत के तलब गार रहो और जब गधे की आवाज़ सुनो तो 'आऊज़ ओ बिल्लाह ए मिनस शैतानुर्रजीम ' पढो , क्योंकि मुर्ग़ फ़रिश्ते को देखता है और गधा शैतान को .
*मुहम्मद इंसान के ही नहीं बल्कि जानवरों के भी दुश्मन हैं, सीधी सादी मखलूक को ज़र्द रू कर रहे हैं। ज़िन्दगी भर गधों पर सवारी की , कभी कभी तो इस पर ऐसा ज़ुल्म करते थे कि डबल सवारी हो जाया करते थे। यह एहसान  फ़रामोशी ?

इस मासूम जानवर के पीछे पड़े रहते, कभी आवाज़ को लेकर कभी सूरत को लेकर।

जीम. मोमिन 

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