Tuesday 30 December 2014

Hadeesi Hadse 26


**********
हदीसी हादसे 26

बुखारी ९४१
मुहम्मद की बीवी खदीजा ने अपने शौहर से पूछा कि लोग गोश्त हमें भेज देते है, पता नहीं हलाल होता भी है ? मुहम्मद ने कहा बिस्मिल्लाह करके खा लिया करो.
*मगर आजका मुसलमान ग़ैर हलाल गोश्त को किसी हाल में नहीं खायगा,भले शराब गले तक पी ले.                          
बुखारी ९४६
मुहम्मद कहते है कि अपने हाथ की कमाई हुई रोज़ी ही सब से बढ़ कर है. आगे कहते हैं कि दाऊद खुद मशक्क़त की रोज़ी कमाते थे.
*पहली बात तो ठीक है मगर दाऊद एक लुटेरा डाकू से बादशाह बन गया, आप जनाब इसकी हकीकत से नावाकिफ़ हैं.बस उड़ाते हैं.
बुखारी ९५६
सहाबी जाबिर कहता है कि एक जिहाद के बाद मैं मुहम्मद के साथ घर वापस हो रहा था, मुहम्मद ने पूछा कि शादी कर लिया है?
मैंने कहा हाँ,
कहा कुंवारी से या ब्याहता से?
मैं ने कहा ब्याहता से . 
कहने लगे कुंवारी से किया होता, तुम उसके साथ खेलते, वह तुमहारे साथ खेलती.
*इसी वजेह से इन्हें रंगीला रसूल कहा जाता है. और ओलिमा इन्हें बेवाओं का मसीहा बतलाते हैं.
 बुखारी ९४०
बड़े भाई इतबा ने छोटे भाई साद को वसीहत की थी कि ज़िमा की लौड़ी का बच्चा मेरे नुतफे से है,जब वह पैदा हो तो तुम उसे ले लेना. फ़तेह मक्का में इतबा मारे गए और लौंडी ने बच्चा जना, गोया साद उसको लेने पहुंचे. ज़िमा के बेटे ने बच्चे को देने से इनकार कर दिया और दलील दी कि बच्चा मेरा भाई है क्योंकि मेरे बाप की मातहती में पैदा हुवा हैं इस लिए मेरा हुवा. मुआमला मुहम्मद तक पहुँच तो उन्हों ने कहा बच्चा इब्ने ज़िमा का है हलाकि बच्चे की मुशाबिहत इतबा से मिल रही थी. कहा ज़ानी के लिए तो पत्थर है.
*मुहम्मद अपने मुआमले को भूल गए जब लौड़ी मार्या से बेटा इब्राहीम पैदा हुवा और एलान्या उसे अपनी औलाद कहा और उसका अकीक़ा भी किया.
कहते हैं हम अल्लाह के रसूल ठहरे,  इस लिए मेरे सारे गुनाह मुआफ. ऐसे ढीठ थे तुमहारे पैगम्बर, ऐ मुसलमानों!
बुखारी ९०४
मुहम्मद ने दौरान सफ़र देखा कि एक जगह लोगों का अजदहाम है, मुआमला जानना चाहा, लोगों ने बतलाया कि एक रोज़ेदार पर लोग साया किए हुए हैं. उन्हों ने कहा सफ़र में रोज़ा कोई नेक काम नहीं है, अपनी जन को हलाक़त में मत डालो.
बुखारी ९४०
एक शख्स आया और मुहम्मद से कहा 
मैं तो मर गया, रोज़े के आलम में बीवी के साथ मुबाश्रत कर बैठा? 
मुहम्मद ने उससे पूछा तुम दो गुलाम आज़ाद कर सकते हो? 
कहा नहीं. 
पूछा दो महीने रोज़े रख सकते हो? 
बोला नहीं.
फिर पूछा ६० मोहताजों को खाना खिला सकते हो? बोला नहीं.
इसी दौरान एक थैला सदक़े का खजूर कोई ले आया, मुहम्मद ने थैला किसी को थमाते हुए कहा ये लो सदक़ा गरीबों में तकसीम करदो. 
वह बोला या रसूल अल्लाह मुझ से बड़ा गरीब मदीने में कोई नहीं. 
मुहम्मद मुस्कुरा पड़े और उसे दे दिया कि लो अपने बच्चों को खिलाओ.
*ऐसी भी हुवा करती थी मुहम्मदी उम्मत .
जीम. मोमिन 

No comments:

Post a Comment