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बुखारी ९९४
अबू सुफ्यान की बीवी ने मुहम्मद से पूछा कि अपने बखील शौहर की जेब से कुछ रक़म चुरा लिया करूं तो कोई मुज़ाईक़ा तो नहीं?
जवाब था "हाँ! अपने बाल बच्चो की ज़रुरत भर चुरा लिया करो."
यही मुहम्मद एक ज़ईफा जो कि खुद इनके खानदान से तअल्लुक़ रखती थीं, की तीन पैसे की मामूली चोरी पर अपने हाथों से उनका हाथ कट दिया था.
दोहरा मेयार मुहम्मद की खू रहा.
अब देखिए की इस्लामी हदीसें क्या क्या बकती हैं - - -
बुखारी ९७७
मुहम्मद कहते हैं कि अगर किसी लौंडी के ज़िना कराने का इल्म उसके आक़ा को हो जाय, उसे सिर्फ समझाने बुझाने की किफ़ायत न करे बल्कि कोड़े से उसकी खबर ले, और अगर दोबारा वह ज़िना करे तो भी कोड़े बरसाए , तीसरी बार अगर ज़िना करे तो उसको किसी के हाथ एक बाल की रस्सी के एवज़ बेच दे.
*ऐमन से लेकर मारया के साथ दर्जनों लौंडियों से खुद ज़िना कारी के मुजरिम मुहम्मद किस मुंह से दूसरे को कोड़े की सजा तजवीज़ करते हैं.
बुखारी ९५९
आयशा ने अपने शौहर मुहम्मद के लिए एक तोशक खरीदी जिस पर बेल बूटे और परिंदों की तस्वीरें थीं, कि उनको तोहफा देंगे. मुहम्मद उसे देख कर कबीदा खातिर हुए, कहा कि क़यामत के रोज़ इन तस्वीरों में जान डालना पड़ेगा. आयशा की खुशियाँ काफूर हो गईं.
*पूरे मुस्लिम कौम की खुशियाँ इस हदीस से महरूम हैं.कि तस्वीर बनाना और घरों में सजाना गुनाह समझते हैं.
बुखारी ९६२
मुहम्मद ने अपनी बीवी आयशा से कहा एक रोज़ कोई लश्कर आएगा कि काबा पर चढ़ाई करने की नियत रख्खेगा, मुकाम बैदा में ज़मीन में धंस जाएगा. आयशा ने पूछा क्या वह लोग भी धंस जाएँगे जिनकी नियत जंग की न होगी, तिजारत की होगी?
*मुहम्मद का जवाब गोल मॉल था, कहा कि क़यामत के दिन सबको उनकी नियत ए नेक या नियत ए बद के हिसाब से उठाया जाएगा
बुखारी ९६3
बाज़ार में मुहम्मद को छेड़ते हुए एक शख्स ने उनके पीछे से आवाज़ दी "अबू कासिम !"
मुहम्मद ने गर्दन मोड़ कर पीछे देखा तो आवाज़ देने वाले ने कहा " मैं ने आप को नहीं बुलाया, कोई और है."
मुहम्मद ने कहा "मेरा नाम रखा जा सकता है, मेरी कुन्नियत नहीं."
* मुहम्मद की कद्रो-कीमत ऐसी थी कि लोग राह चलते उन्हें छेड़ते.
जीम. मोमिन
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