Tuesday 2 December 2014

Hadeesi Hadse 23


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हदीसी हादसे 23
  
बुखारी १००० 
मुहम्मद ने अपने खुतबे में कहा 
"अल्लाह तअला ने मुरदार, खिंजीर (सुवर) और शराब को हराम क़रार दे दिया है."
किसी ने पूछा कि 
"मुरदार की ख़ाल और चर्बी जो चमड़े और उसके रंगने के काम आती है, उसके बारे में क्या फरमा रहे हैं,"
बोले "सब के सब हराम हुए." 
फिर बोले "अल्लाह की लअनत यहूदियों और नसारा (ईसाई) पर जो इसे हलाल किए हुए है."
*मुसलमानों मुहम्मद जो कुछ बोलते थे वह खुदा की ज़बान और अल्लाह का कलाम हो जाया करता था. मुहम्मद किसी के सवाल का जवाब दे रहे हैं, न वहिय, न इल्हाम हुए बिना, ये इनकी ज़ाती बात थी मगर झूट के पुतले मुहम्मद में अल्लाह बन जाने की खाहिश थी. बेहतर था की वह खुद को अल्लाह होने का एलान कर देते जैसे हिदुओं में कई खुद साख्ता भगवान बने बैठे हैं. मगर न उनमे इतना हुनर था न इतनी अक्ल . 
बुखारी ९९७ 
मुहम्मद कहते हैं 
"ईसा का नुजूल होगा, वह साफ़ सुथरी हुकूमत क़ायम करेंगे, खिंजीर को मार कर ख़त्म कर देंगे, कोई खिंजीर खाने वाला न होगा."
आगे कहते हैं कि 
"एक दिन आएगा कि लोगों के पास इतना मॉल हो जाएगा कि इसे लेने वाला कोई न होगा." 
*डेनमार्क जैसे देश में जहाँ मकूलियत ईसा बन गई है, हर आदमी ईसा बन जायगा, जो इस्लाम को हिकारत से देखते हैं.
*माल कितना भी हो जाए मगर इंसान लालची फ़ितरत हा बंदा है, माल से कभी न ऊबेगा., हत्ता कि मुहम्मदी अल्लाह भी नहीं जो हर जंग में मिले माले-गनीमत से अपना २०% का हिस्सा पहले धरा लेता था.
बुखारी ९९८ 
इब्ने-अब्बास कहते हैं कि उनके पास एक शख्स आया और कहने लगा कि मेरी गुज़र औकात, मेरी फनकारी पर ही मुनहसिर है, मैं तस्वीरें बना कर ही गुज़र करता हूँ, मेरे लिए क्या हुक्म है? 
इब्न-अब्बास ने कहा सूरत निगारी को हुज़ूर ने मना किया है कि जो शख्स तस्वीरें बनाएगा उसको क़यामत तक उनमें रूह भरना पड़ेगा. उन्हों ने कहा तुम दरख्तों और फूल पत्तियों की तस्वीर बनाओ, जिनमें रूह नहीं होती. 
*मुस्लमान फुनून लतीफा से महरूम कर दिया गया है. कोई फ़िदा हुसैन जब इस्लाम से ख़ारिज होने का अज्म करते हैं तो शोहरत किई दुनया में अमर हो जाते है. शुक्र है कि खाड़ी में ख़लील जिब्रान ईसाई था जो इस फन को उरूज तक ले जाता है.. अल्लाह इतना भी दूर अंदेश न था कि जनता कि आने वाले वक्तों में कोई हज भी नहीं कर पाएगा, अगर फोटो से परहेज़ करेगा. 
बुखारी ९९६
*तौरेती वाकिया है कि बाप की राय पर अब्राहम ने अपनी बीवी सारा और भतीजे लूत के साथ हिजरत किया, परेशनी के आलम में बादशाह ए मिस्र के यहाँ फ़रयाद की और सारा को अपनी बहन बतलाया. सारा हसीं थीं, बादशाह ने इसको अपने हरम में रख लिया. कुछ दिनों बाद बादशाह को सच्चाई का पता चला तो उसने डाट फटकार के बाद अब्राहम को अपनी हल्के से निकल दिया, मगर साथ में सारा को कुछ इमदाद भी किया.
मुहम्मद ने इस वाकिए को किस बे ढंगे पन से बयान किया है. कहते हैं कि 
"बादशाह बहुत ज़ालिम था, अपनी सल्तनत की खूब रू औरतों को उठवा लिया करता था. दो बार उसने सारा की इज्ज़त लूटनी चाही मगर सारा की बद दुआओं से दोनों बार उसकी सासें बंद होने लगी. वह घबराया और उन्हें आज़ाद कर दिया. साथ में एक लौंडी हाजिरा को भी दिया." 
* हर वाकिए को रद्द ओ बदल कर पेश करना मुहम्मद क़ी होश्यारी थी. 
 


जीम. मोमिन 

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