Tuesday 13 August 2013

Hadeesi Hadse 97

फिरौतियाँ 

***************

फिरौतियाँ 
मुहम्मद ने कहा क़यामत के दिन अल्लाह तअला हर मुसलमान को एक यहूदी या नसरानी देगा और कहेगा कि यह तेरा छुट्कारा है जहन्नम से .
(मुस्लिम - - - किताबुल तौबा)

क़यामत तक मुसलमान जहन्नम की आग में जलते रहेंगे कि कयामत आने में अभी लाखों साल बाकी हैं . नसरानी और यहूदी दुन्या की तालीम याफ्ता कौमें तब तक इस ज़मीं पर सुर्खरू जीती रहेंगी और मुसलमान इल्म जदीद से ख़ारिज ज़िल्लत ढोता रहेगा 
.
अब्दुल्ला इब्न सलूल 
मुहम्मद अपने कुछ हमराहियों के साथ अपने गधे पर सवार किसी की अयादत में जा रहे थे कि रास्ते में अब्दुल्ला इब्न सलूल मिल गया . मुहम्मद के गधे के पैरों से उडती हुई धूल पर एतराज़ करते हुए अब्दुल्ला इब्न सलूल बोला धूल मत उडाओ। 
मुहम्मद गधे से उतर गए और कुरआन की आयतें तिलावत करने लगे और अब्दुल्ला इब्न सलूल को देने लगे दावत ए इस्लाम .
अब्दुल्ला इब्न सलूल ने कहा कि अगर वाकई यह तुम्हारी कुरानी आयतें सच्ची हैं तो हुवा करें , मगर तुम हमारे बीच इसे पढ़ कर हमें तकलीफ मत पहुँचाया करो , जो लोग तुम्हारे पास आएँ , इन्हें शौक़ से सुनाया करो .
मुआमला बढ़ कर गाली गलौज तक पहुँच गया और फिर मार पीट तक चला गया . मुहम्मद ने मस्लिहत से काम लेते हुए झगडे को रफ़ा दफ़ा किया और आगे बढ़ गए .
जब मुहम्मद इब्न इबादा के यहाँ पहुँचे तो इनको साद ने बतलाया कि अब्दुल्ला इब्न सलूल को अहले मदीना हुकूमत का ताज सौंपने वाले थे , आपकी आमद ने इसका खेल बिगाड़ दिया , इसको नज़र अंदाज़ ही करते रह करिए , यह मदीने का बा असर शख्स है .
(बुख़ारी १६६९)

अब्दुल्ला इब्न सलूल कई बार मुहम्मद के आड़े आया जिसे वह नज़र अंदाज़ करते रहे , आयशा पर इलज़ाम तराशी इसी की हरकत थी . सब गाठें दिल में बांधे हुए थे मुहम्मद और अब्दुल्ला इब्न सलूल के मरने के बाद उससे इन्तेक़ाम इस तरह लिया कि दूसरे दिन उसको कब्र से निकलवा कर उसके मुंह में थूका और उसका नया कफ़न उतार कर अपना उतरन पहना कर दफन कर दिया .

ज़बान खुली कि सर क़लम 
अनस से हदीस है कि लोग तोहमत लगते थे मुहम्मद के हरम को ( यानी मुहम्मद की उम्मुल वलद लौंडी मारया पर कि हामला हो गई थी) 
मुहम्मद ने अली को बुला कर हुक्म दिया कि जाकर फुलां शख्स की गर्दन मार दो। (यही शख्स हरम को बदनाम करने में पेश पेश था )
अली जब वहां पहुंचे तो वह शख्स ठंडक के लिए कुवें में नहा रहा था . अली ने उसे आवाज़ दी तो वह बरहना हालत में ही कुवें से बाहर निकला . अली ने गौर किया तो देखा उसका आज़ाए तानासुल ही नदारद था , वह वापस आ गए कि मुहम्मद को ग़लत इत्तेला मिली है कि यह शख्स ज़ानी है कि यह तो जिना कर ही नहीं सकता  और मुहम्मद ने इसे ज़रूर जिना की सज़ा देने के लिए मुझे भेजा होगा . अली अल्लाह रसूल और सज़ा  की उन-गूथ में मुहम्मद के पास आए और अपनी कैफ़ियत बयान कर दिया .
मुहम्मद उठे और उस शख्स के यहाँ पहुंचे और उसको क़त्ल कर दिया . 

* यह मुआमला लौड़ी मारिया का है जो मुहमाद की रखैल थी और हामला हो गई थी दिन पूरे हो रहे थे , मुहल्ले में चे मे गोइयाँ हो रही थी .
ये है पैगम्बर ए इस्लाम की असली सूरत .
मुसलमानों ! तुम एक बद तरीन इंसान की पैरवी कर रहे हो जो तुमको और तुम्हारी नस्लों को कभी सुर्खरू नहीं होने देगा . तुम्हें मोमिन बन जाने की मेरी राय है , मोमिन की बारीकी को जिस दिन समझ लोगे तुम्हें खुद बखुद इस्लाम से नफरत हो जाएगी .

हालत ए बीमार 
आयशा कहती है कि बीमारी की हालत में मैंने मुहम्मद के मुंह में दवा डाली , इशारे से उन्होंने मना कर दिया ठीक होने के बाद उनहोंने जवाब तलबी की कि मैंने दवा पीने से इंकार कर दिया था , आयशा हूँ हाँ करने लगीं , कहा चचा अब्बास को छोड़ कर  घर में जितने लोग हैं , सब को जबरन दवा पिलाई जाए .
(बुख़ारी १६५१)

*नरम दिल मुहम्मद के गरम गरम तेवर .

वरना हम खस्सी हो जाएँगे 
अब्दुल्ला इब्न ए उमर कहते है कि हम लोग मुहम्मद के साथ जंगी मुहीम पर थे और हम लोगों के साथ औरतें न थीं , ग़रज़ हम लोगों ने मुहम्मद से दरख्वास्त की कि हमें खस्सी कर दें . उनहोंने हमें इस फ़ेल से मना किया और किसी औरत से मुता करने की इजाज़त दे दी .
(बुख़ारी १६८०) 

अय्याश कौम की ये हदीस गममाज़ी करती है मगर इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि पेट भरने के बाद जिन्स जेहनी दरवाजे पर दस्तखत देती रहती है . इसके लिए हिटलर ने मसनूई जिन्स ए लतीफ़ अपनी फौजों को  मुहय्या कराई थीं . इसके लिए मग्रिबी तहजीब की जदीद क़द्रें तस्लीम की जा सकती हैं . 

जीम. मोमिन 

No comments:

Post a Comment