Tuesday 29 January 2013

Hadeesi Hadse 70


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बुखारी 1235
"मुहम्मद के हमराह उनके साथी किसी बुलंद मुकाम से गुज़र रहे थे, नारा ए तकबीर का नारा जोर जोर आवाज़ से लगते हुए। मुहम्मद ने उन्हें टोका कि क्या अल्लाह बहरा है जो इतनी ज़ोर से नारे लगा रहे हो "

* नारा ए तकबीर का मतलब है क़िब्र , तकब्बुर,ज़ोम और घमंड का नारा . इस्लाम ने बहुत सी बातों का इस्लामी करण किया है जिससे जायज़ नाजायज़ हो गया है और नाजायज़ जायज़ हो गया है। घमंड किसी के लिए भी जायज़ नहीं , चाहे वह अल्लाह ही हो .
इस्लामी लाजिक कहती है कि घमंड करना अल्लाह को ज़ेबा देता है , उसको तकब्बुर पसंद है, उसी के तुफैल में मुसलमान भी उसको याद करने में तकब्बुर करते हैं। यह नारा अक्सर फ़साद की वजह होता है। जज़बाती कौम मुट्ठी भर भी इकठ्ठा होगी तो नारा ए तकबीर लगाना शुरू कर देगी .तमाम दुन्य में ज़िल्लत ढो  रही है मगर घमंड को छोड़ने को तैयार नहीं।

बुखारी 1243
मिन जुमला काफ़िर (totaly kafir)
"मुहम्मद से दरयाफ्त किया गया शब खून मारी में अगर कुफ्फ़ार के बच्चे और औरतें क़त्ल हो जाएँ तो हम पर कोई गुनाह होगा या नहीं ?
मुहम्मद ने कहा कुफ्फ़ार की औरतें और बच्चे मिन जुमला काफ़िर ही शुमार किए जाएँगे . "

*बच्चो ! समझ लो शब् खून उस क़ज़ज़ाक़ी हमले को कहते हैं जो सोते हुए दुश्मन पर अचानक किया जाए , बस्ती सो रही हो और उसे सोते में क़त्ल और गारत गारी से तबाह कर दिया जाए। मुहम्मद की क़ल्ब ए सियाही देखो कि कहते हैं इस हमले में अगर मासूम बच्चे और मजबूर औरतें क़त्ल हो जाएँ तो तो कोई गुनाह नहीं। यह मज़मूम पैग़ाम क्या किसी अवतार या पैग़म्बर का हो सकता है ? नहीं , अलबत्ता पत्थर दिल मुहम्मद और उनके गढे गए अल्लाह का ज़रूर है।
इस शख्स का अंजाम यह हुवा कि मैदान करबला में इसके परिवार का बच्चा बच्चा भूखा प्यासा मौत के घाट उतार दिया गया मगर इस्लाम को शैतान की बख्शी हुई हराम ज़िन्दगी मिल गई . उसको लूट मार की दौलत "माल ए ग़नीमत " की शक्ल बन गई जिसे खा पीकर वह तःतुत सुरा में जा रहा है .
जल्याना वाला बाग़ का दुष्ट मुजरिम डायर से खुद अंग्रेज़ जज ने जवाब तलबी की थी कि बाग में खेल रहे किसी मासूम को क्या पता कि बाग़ में कौन सी दफ़ा लगी हुई है कि वह उस पर अमल करता ? 
मुहम्मद बजाद खुद एक काफ़िर की अवलाद थे, चालीस साल की उम्र में मुसलमान हुए और मुसलमानों के पैगम्बर भी। कोई दो साल का बच्चा जब बोलना सीख रहा हो तो उससे कलिमा पढवाएं या रामायण के दोहे , सिने-बलूगत पर ही उसकी पहचान के आसार शुरू होते हैं। 
मुहम्मद जनरल दायर से बद तरीन मुजरिम थे , मुस्लमान इस हदीस का जायज़ा लें।

बुखारी 1245
अली ने एक कौम को जिंदा जला डाला 
"अली ने एक कौम को जिंदा जला दिया, ये बात जब उनके चचा अब्बास के कान में पड़ी तो उन्हें उनके इस फेल का सदमा हुवा। उन्होंने ने कहा ये सज़ा अल्लाह को ही जेबा देती है , बल्कि जो शख्स अपना दीन बदल दे उसको क़त्ल कर देना चाहिए।" 

*शिया हज़रात ने अली मौला के इतने क़सीदे गढ़े हैं कि हिटलर का शागिर्द मौसुलेनी इनके आगे पानी भरे। उनको मिनी अल्लाह (अली मौला) कहते हैं, जिनकी हक़ीक़त हदीसें जगह जगह पोल  खोलती हैं कि वह घस खुद्दे थे, बुज़दिल थे, लालची थे और इन्तेहाई ज़ालिम शख्स भी थे। 
जनाब मौला ने एक कौम को जिंदा जल डाला, मुहम्मद से चार क़दम आगे। भला उस कौम की क्या गलती रही होगी ? वह कितनी बे यार ओ मदद गार रही होगी कि जालिमों के हाथों जल मरी। अली के इस अमल से बजरंग दल के दारा सिंह का वाकिया जहन में ताज़ा हो गया, जिसने कार में सोए हुए मिशन के एक खुदाई खिदमत गार को उसके दो बच्चों समेत जिंदा जला दिया था। एक मुसलमानों का तब्कः कहता है कि इस्लाम को फैलाने में अली का बड़ा हाथ था। इनमे से कुछ इन्हें मुहम्मद के बाद मानते हैं तो कुछ मुहम्मद से पहले. इनकी इस मज्मूम और मकरूह कार गुज़ारी के बाद लोग हज़ार इस मौला को " अली दम दम दे अन्दर " का दम भरते रहें, इनमे कोई अज़मत पैदा हो ही सकती नहीं सकती। उनकी औलादों का क्या हश्र हुवा ? शायद अली की बद आमालियों का अंजाम है कि की उनके मानने वाले चौदह सौ सालों से सीना कूबी कर कर के उनके गुनाहों की तलाफी कर रहे हैं।
मियां अब्बास कहते हैं की वह होते तो उनको जलाते ना बल्कि क़त्ल कर देते। बाप का राज हो गया था कुछ दिनों के लिए . इन इंसानियत सोज़ मज़ालिम के अंजाम में आज दुन्या की तमाम कौमों पर इन्तेकाम का भूत सवार हो चूका है। अगर ऐसा है तो कोई ताज्जुब की बात नहीं।
मैं ने माना कि वहशत का दौर था, उस वक़्त तमाम कौमें वहशत का शिकार थीं मगर कोई उनमे मुहम्मद जैसा घुटा पैगम्बरी का दावे दार नहीं हुवा जो अपना नापाक साया सैकड़ों साल तक इंसानी आबादी पर कायम रखता।
क्या मुसलमान इस बात के मुन्तजिर हैं कि अली का जवाब उनको दिया जय, जैसे कि स्पेन में हुवा, इससे पहले तर्क इस्लाम कर दें।
 डेनमार्क के दानिश मंद की राय मानते हुए अज़ खुद क़ुरआनी सफ़्हात को नज़रे-आतिश कर दें। 



जीम. मोमिन 

1 comment:


  1. बुखारी 1245
    अली ने एक कौम को जिंदा जला डाला give me the book name or which part from bukhari.

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