
हदीसी हादसे 92
बुखारी ५३
"एक शक्स मुहम्मद के पास इस्लाम क़ुबूल करने के किए आया, मुहम्मद ने शर्त लगाई कि तुम्हें मुसलमानों का खैर ख्वाह रहना होगा."
*इस्लाम इंसान को तअस्सुबी बनाता है. तअस्सुबी फ़र्द कभी ईमान दार नहीं हो सकता और न ही मुंसिफ.
बुखारी ५५
"मुहम्मद नमाज़ से पहले वजू (मुंह, हाथ और पैर धोना) करने में एडियों को चीर कर न धोने वाले नमाजियों को आगाह करते है कि इस सूरत में एडिया दोज़ख में डाल दी जाएंगी"
*मुहम्मदी अल्लाह की बातों को सर आँख पर रख कर जीने वालों को कभी कभी जिंदगी दूभर हो जाती है. दिन में पाँच बार वज़ू करना और उसमें पैरों की बेवाई को चीर चीर कर धोने जैसे सैकड़ों नियम हैं जिनकी पाबन्दी न करने पर जन्नत हराम हो जाती है.
नई और बेहतर ज़िन्दगी मुसलमानों को जीते जी हराम सी होती है.
बुखारी ५८
मुहम्मद ने एक बार अपना ख़त कसरा (ईरान के बादशाह) को भेजा जिसे पढ़ कर उसने ख़त के टुकड़े टुकड़े करके हवा में उड़ा दिया. एलची से इसकी खबर मिलने के बाद मुहम्मद ने बाद दुआ देते हुए कहा इसके टुकड़े टुकड़े मेरे ख़त की तरह कर दिए जाएँ.
बुखारी ७६
एक दिन मुहम्मद की बड़ी साली इस्मा मुहम्मद के घर गईं, देखा मियाँ बीवी दोनों नमाज़ में लगे थे. इस्मा ने बहन आयशा से पूछा क्या बात है, दोनों नमाज़ों में लगे हुए हो, कोई खास बात है? क़यामत तो नहीं आने वाली? और इस्मा भी नमाज़ पढने लगीं .
मुहम्मद नमाज़ से फारिग हुए और इस्मा से कहने लगे.
"मुझे वह्यी नाजिल हुई है कि कब्र में जब मुर्दा रखा जाएगा तो उस से सवाल होगा ...
" तू मुहम्मदुर-रसूल्लिलाह के बारे में क्या जानता है ?"
मुर्दा अगर कहेगा " वह एक सच्चे अल्लाह के रसूल थे, हमारे पास अल्लाह का पैगाम लेकर आए थे." वह जन्नत में जाएगा
और अगर कहेगा " नहीं मैं नहीं जानता" तो जहन्नम रसीदा होगा.
*मुहम्मद के ज़मीर में कितनी गन्दगी थी कि किसी लान्हे अपनी खुद नुमाई से न चूकते.
बुखारी ९०
झूटों के पुतले मुहम्मद कहते हैं कि "जो उन पर झूट बांधेगा वह दोज़ख में अपना मकान बनाएगा."
*अभी तक अल्लाह ही गैर मुअत्बर है वह पूरी तरह से दुन्या में ज़ाहिर नहीं हुवा तो उसका रसूल होने कि बात ही मुहम्मद को मुजस्सम झूट साबित करता है. उसके बाद बचता क्या है?
बुखारी ९५
मुहम्मद कहते हैं "जो औरतें यहाँ दुन्या में उम्दः लिबास पहनती हैं वह क़यामत में उरयाँ होंगी"
*कठ मुल्ला की बातें! गोया जो इस दुन्या में मामूली लिबास पहनेगी, वह क़यामत में सुर्ख़ रू होगी. और जो लिबास से ही मुबररा होंगी उनको क़यामत में उम्दः लिबासों में देखा जाएगा . मुहम्मदी फार्मूला तो यही कहता है.
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