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हदीसी हादसे 75
बुखारी 1171
आयशा कहती हैं उनके शौहर मुहम्मद जंगे-खंदक से फारिग हो कर जूं ही घर लौटे और हथ्यार रख ही रहे थे कि हज़रात जिब्रील आए और बोले या रसूल आप ने हथ्यार रख दिए क्या ?
मुहम्मद बोले क्यों कही और जंग होनी है ?
जिब्रील ने कहा जी हाँ ! बनी क़रीफला में .
मुहम्मद ने हथ्यार उठाए और जंग के लिए निकल गए।
*आयशा मुहम्मद की मौत के बाद ही बालिग़ हुई थीं , उस वक़्त उनकी उम्र थी 18 साल। जब जेहनी तौर पर बालिग़ हुईं तो अपने शौहर की बखान में हदीसें बघारने लगी,.मुहम्मद की शरीक-हयात मुहम्मद 'शरीके-दारोग' बन गईं। आलिमान दीन उन के हर झूट को खूब जानते हैं मगर उनके नाम के साथ रज़ी अल्लाह अन्हा लगाना नहीं भूलते।
एक दूसरी हदीस आगे आएगी जिसमे बैठे बैठे मुहम्मद कहते हैं - -
"आयशा जिब्रील अलैहिस्सलाम तुम को सलाम अर्ज़ करते हैं"
वालेकुम अस्सलाम कहते हुए आयशा कहती है जिब्रील अलैहिस्सलाम आपको ही दिखाई और सुनाई पड़ते हैं , मुझे क्यों नहीं ? - - -
यह हदीस साबित करती है कि आयशा किस कद्र झूटी और मक्कार औरत थीं।
बुखारी 1172
मुहममद कहते हैं कि अल्लाह उन दो लोगों पर बहुत हँसता है जो जंग में लड़ते लड़ते शहीद हो जाते हैं। पहला वह जो अल्लाह की राह में जंग कर रहा हो और शहीद हो जाय , दूसरा वह जो इसके खिलाफ जंग करते हुए मरने से पहले कलमा पढ़ कर मुसलमान हो जाय।
* अल्लाह न हँसता है न रोता है। मुहम्मद अल्लाह की दुम भी नहीं जानते. दर अस्ल मुहम्मद ज़माने को बेवकूफ बना कर खुद अल्लाह बने हुए हैं। इनको ख़ुशी होती है कि इनके दोनों हाथ में लड्डू रहे . मरने से पहले सारी आलम-इंसानियत, इस्लाम के ज़हर पीकर उनका शिकार हो जाए।
अगर तमाम दुनिया ही उनकी जिंदगी में मुसलमान हो गई होती तो जंग के लिए मुसलमानों के दो गिरोह बनाते और दोनों हक पर होते और पयंबरी दोनों की मुहम्मद के हाथ होती .
बुखारी 1185
मुहम्मद कहते हैं घोड़ों की पेशानी में खैर ओ बरकत , सवाब ओ गनीमत कयामत तक के लिए वदीयत कर दिया गया है।
* एक दूसरी हदीस ( बुखारी 1191) में हज़रत कहते हैं कि घोड़े में नहूसत की अलामत होती है। इनकी किस बात को सच माना जाए और किसे झूट ? हमेशा इनके क़ौल में ताजाद रहता है गरज उम्मत हमेशा ही ताज़दों भरी ज़िन्दगी गुज़रती है, जिसे कठ मुल्ले मिसाल देते है कि
"हुज़ूर ने अगर ये कहा है तो यह भी तो कहा है" .
घोड़ों का काम ज्यादह हिस्सा जंगी ज़रूरतों में पेश आती है जिसके तहत फतह की बात न करके मुहम्मद गनीमत ( लूट का माल ) की बात करते है, किस कद्र मॉल ओ मता के कायल थे वह, चाहे वह लूट पाट से ही क्यों न मिले . क्या यह किसी पैगम्बर के शायान ए शान है ?
बुखारी 1187
कठ मुल्ले और चुगद , अल्लाह में मफरूज़ा रसूल कहते हैं जो शख्स जिहाद के लिए अपने घोड़े देगा , अल्लाह उसके घोड़े का खाना पीना और उसके लीद गोबर को वज़न करके उसके सवाब को उसके हिसाब बढ़ा देगा।
*मुसलमानों तुम्हारा अल्लाह क्या क्या करता है ? लीद और गोबर तोलता रहता है ? क्या तुमको इन बातों से घिन और ग़ैरत नहीं आती ?
इसी रसूल ने कुरान गढ़ा है जिसमे इस से भी ज्यादह ग़लीज़ तरीन बातें हैं।
जीम. मोमिन
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