Wednesday 9 December 2015

Hadeesi Hadse 186


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हदीसी हादसे 74
बुखारी 1191
मुहम्मद कहते हैं कि अगर नहूसत का वजूद होता तो तीन चीजों में होता - - -
माकन औरत और घोडा .
*मुसलमान काफिरों की इन बातों को बिदअत कहते हैं और उनको कमतर समझते है . उनका रसूल इन्हीं बिदअतों को क़यास ए करीं बतला रहा है।
सूरह नास और सूरह फलक तो इस्लाम की बिदअती सुतून हैं जिनमें बीमार मुहम्मद जादू टोना और गंदा बाँधने वाली यहूदनों से पनाह मांगते हैं।
बुखारी 1197
मुहम्मद अपने साथियों (सहाबी ए किरम) को बद दुआ देते हुए कहते हैं कि 
"खुद करे दरहम ओ दीनार और चादरों के के (लालची) यह लोग मर जाएँ कि जब तक इनको यह चीजें मिलती रहती हैं ये खुश रहते हैं और न मिले तो नाराज़ हो जाते हैं। खुदा करे यह औधे मुँह गिरें और इनको ऐसा कांटा लगे की जीते जी न निकले .
उस आदमी को खुश हो जाना चाहिए कि जो अपने घोड़े को लेकर मुजाहिदों के हमराह हो गया हो . वह जिहादी टुकड़ियों में सफे-आखिर में रहता कि कोई शोहरत नहीं रखता - - -.
मुहम्मद नूह की नकल में हैं जो अपनी उम्मत को कोस कटा करते थे। करी देखें कि जिन्हें वह सहाबी ए किरम कहा करते हैं , वह किस खसलत के हुवा करते थे। मुहम्मद की तबियत और फितरत का मुजाहिरा देखने को मिलता है कि 
वह कितने रहम और सब्र वाले हुवा करते थे थे।
जिहाद जिहाद और हर हल में जिहाद के लिए लूट मार के लिए लोगों को वर्ग्लाया हारते। आज उनकी तस्वीर ही बदल क्र दुन्य के सामने पेश की जताई है।
ऐसे पैगम्बर की उम्मत क्या कभी सर सब्ज़ होगी ? ?
मुहम्मद नूह की नकल में हैं जो अपनी उम्मत को कोसा काटा करते थे। दूसरी बात ये देखें कि जिन्हें वह सहाबी ए किरम कहा करते हैं , वह किस खसलत के हुवा करते थे। मुहम्मद की तबियत और फितरत का मुजाहिरा देखने को मिलता है कि वह कितने रहम और सब्र वाले हुवा करते थे।
जिहाद जिहाद और हर हल में जिहाद के लिए लूट मार की खातिर लोगों को वर्गालाया करते थे , आज उनकी तस्वीर ही बदल कर दुन्या के सामने पेश की जाती है।
सल्लललाह ए अलैह वसल्लम 
ऐसे पैगम्बर की उम्मत क्या कभी सर सब्ज़ होगी ? ?
बुखारी 1203
मुहम्मद खुद सताई करते हुए कहते हैं कि एक वक़्त ऐसा भी आएगा कि जब जिहादी गिरोह मे से लोग एक दुसरे से पूछेंगे कि तुम में से कोई सहाबी भी है ? ऐसा शख्स मिल जाने पर उसे रहनुमाई दी जायगी और फतह हासिल होगी।
फिर एक वक़्त ऐसा आएगा कि जंग में लोग पूछेंगे कि क्या होई ऐसा है जो रसूल्लिल्लाह के सहाबियों का हम असर हो यानी ताबई ? 
मिलने पर उसके हाथों फ़तेह होगी। इसी तरह घटते हुए वक़्त के मुताबिक उन बरकती हस्तियों के मार्फ़त मुसलमानों को फतुहत मिलती रहेंगी।
नाकिसुल अक्ल रसूल की पेशीन गोइयाँ उनके सर पर चढ़ कर मूतती हुई नज़र आती हैं। औलाद नारीना तो कोई थी ही नहीं, चहीते हसन और हुसैन के जिंदगी का अंजाम मुहम्मद के नवासे होने के नाते ऐसा हुआ कि मुसलमान आज तक सीना कूबी कर रहे है, हसन ने यज़ीद की गुलामी कुबूल कर के अय्याशियों का नमूना बने, उनकी मौत सूजाक जैसे मोहलिक मरज़ से हुई . हुसैन अपने भतीजे भांजे और मासूम औलादों को मोहरे बनाते हुए क़त्ल किए गए जिन के सर को लेकर बेटी ज़ैनब जुलूस निकलती रही . मुहम्मद का लगभद तमाम खानदान ही नेस्त नाबूद हो गया . सदियों से मुसलमान दुनिया के कोने कोने में कुत्ते बिल्ली की मौत मारे जा रहे हैं।
पेशीन गोई करते है ऐसा जैसे बड़े मुतबर्रक हस्ती उनकी रही हो। 



जीम. मोमिन 

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