Wednesday 16 September 2015

Hadeesi Hadse 174


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हदीसी हादसे 62
बुख़ारी 1307 
लासिल्की निज़ाम 
"मुहम्मद कहते हैं जब अल्लाह के नज़दीक कोई बन्दा महबूब होता है तो उसकी इत्तेला जिब्रील को दी जाती है कि जिब्रील फुलां बन्दे को अल्लाह महबूब रखता है, तू भी इसे महबूब रख. जिब्रील को वह बन्दा महबूब हो जाता है और वह आसमान में एलान करते हैं कि फुलां बन्दा को अल्लाह महबूब रखता है, तुम लोग भी इसे महबूब रख्खो. चुनांच अहले आसमान इसे महबूब रखते हैं। इसके बाद इसकी मकबूलियत ज़मीन पर कर दी जाती है और तमाम अहले ज़मीन इसे महबूब रखते हैं।" 
* इस साज़िशी हदीस में मुहम्मद ने अपनी तस्वीर जड़ी है कि अल्लाह ने उनको किस तरह से महबूब और मकबूल बनाया . मज़े की बात यह है कि इस साज़िश को मुस्लिम समाज अपने बच्चो को टोपी लगा कर पढ़ता है जो बड़े होकर इन बातों को महफ़िलों में दोहराया करते है। इसे अवाम कठ मुललई कहा करते हैं. ऐसी ख़ुराफ़ात जब हिदू समाज में यही कठ मुल्ले देखते हैं तो उनको शिर्क और बिदअत का शिकार मानते हैं।
ईसा की एक हदीस बतौर नमूना पेश है , 
दोनों नबियों का मुआजना करें - - -
"तुम बार बार सुनोगे, नहीं समझोगे. तुम बार बार देखोगे मगर तुम को सुझाई नहीं देगा। क्योंकि  इस रिआया की अक्ल कुंद हो चुकी है . यह लोग कान से ऊंचा सुनते हैं , उन्हों ने अपनी आँखें बंद कर ली हैं कि कहीं आँखों से देखने न लगें और कानों से सुनने न लगें कि मन से समझ कर कहीं फिर न जाएँ। मैं तुम से सच कहता हूँ कि बहुतेरे नबी और पैग़म्बर तरसते थे जो तुम देख रहे हो, इन्हें वह देखें मगर नहीं देखा और जो तुम सुन रहे हो, नहीं सुना "( मित्ती )
बुख़ारी 1308
आयशा की बेपर की 
आयशा कहती हैं कि उनके शौहर ने उनसे फ़रमाया कि जो बातें आसमान में तय होती हैं , उनको बादल के फ़रिश्ते आपस में तज़करा करते हैं, वहीँ से कुछ ख़बरें शयातीन चोरी से उड़ा ले जाते हैं और काहनों के कानों में डाल देते हैं , जो इसमें झूट मिला कर बयान करते हैं।
*मदरसों में मुसलमान बच्चे लाल बुझक्कड़ ही यह हदीसे, इन पर रिसर्च करते हैं, रिसर्च इस बात पर कि यह हदीस असली है या नकली। ऐसी इंसानी नस्लें क्या डाक्टर इंजीनियर के गर्द को भी पा सकते है?
लम्बा कुरता उटंग पैजामा हरी पगड़ी पर पड़ा अरबी रुमाल वाला दाढ़ी दार यह कार्टून मुस्लिम बसतियों में आम तौर पर देखे जा सकते हैं। वह बच्चों को ऐसी जिहालत पढ़ता है।
बुख़ारी 1310 
झूठे पैगम्बर की ओछी हरकत 
हदीस है कि मुहम्मद ने हस्सान बिन साबित से कहा,
"तुम ख़ुदा और रसूल की तरफ़ से कुफ़्फ़ार की हिज्जो (बुराई) किया करो . जिब्रील तुम्हारी एआनत (अवैध सहायता) करेंगे ।"
* लअनत है ऐसे रसूल अल्लाह पर जो फ़रिश्तों से नाजायज़ काम कराता हो। हस्सान बिन साबित शाइरी करता था जिसको मुहम्मद राय दे रहे है कि काफ़िरों को अपनी शाइरी में गरियाया करो इसमें फ़रिश्ते तुम्हारी नाजायज़ मदद करेगे।
मुसलमानों क्या तुमको इससे बड़ा सुबूत चाहिए की तुम्हारा रसूल कितना गिरा हुवा शख्स था।

जीम. मोमिन 

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