Wednesday 23 July 2014

Hadeesi hadse 5


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हदीसी हादसे 5

बुखारी २०८
रंगीले रसूल के पास एक पुर मज़ाक़ औरत आई और माहवारी के बाद गुस्ल का तरीक़ा दर्याफ़्त किया. मुहम्मद ने कहा आम गुस्ल की तरह ही गुस्ल करो, अलबत्ता मुकाम मखसूस में मुश्क के फाए से सफाई कर लिया करो . उसने पूछा कैसे?
मुहम्मद ने कहा, वाह अब ये भी मैं बतलाऊँ. तब आयशा ने इसे खींच कर समझाया.

बुखारी २१८
वहशी अबू-बक्र
सफ़र में मुहम्मद ने ऐसी जगह रुकने का हुक्म दिया जहाँ पानी दस्तयाब न था. खुद तो आयश कि ज़ान्गों को तकिया बना के सो गए, बाकी लोग वज़ू के लिए पानी तलाश करने लगे. ऐसे में आयशा का हाथ अपने गले में गया तो उनका हार नदारद था. पानी के साथ हार को तलाशने का भी मुआमला जुड़ गया, इसी वक़्त अबू बक्र झल्लाए हुए आए और आयशा की कोख पर घूंसे बरसाने लगे.
आयशा कहती हैं कि "मेरी रानों पर रसूल सर रख्खे हुए सो रहे थे, अबू बक्र ने निहायत इताब के आलम में मुझ से फ़रमाया कि रसूले-खुदा ने ऐसे मुकाम पर ठहराया है कि जहाँ पानी का नाम नहीं और लोगों के हमराह भी पानी नहीं. अबू बक्र ने गुस्से के आलम में मेरी कोख में घूंसे लगाना शुरू कर दिया . चूँकि रसूल का सर मेरी रान पर था जिसकी वजेह से मैं कोई हरकत न कर सकी थी वर्ना खुदा ही जनता है कि जो उस वक़्त मुझे तकलीफ थी ."
मुहम्मद जब सुब्ह सो कर उठे तो उन पर तयम्मुम की आयत नाज़िल हुई.
बेटी आयशा की कोख में घूसों की बरसात पर शायद ये बरकत थी कि वज़ू का मसला हल हो गया जैसे कि हसीद बिन हुज़ैर कहने लगे "ऐ आले अबू बक्र यह तुम्हारी पहली बरकत नहीं बल्कि इस से पहले तुम्हारी ज़ात से बहुत सी बरकतें नाज़िल हो चुकी हैं."
आयशा कहती हैं कि हमने अपने ऊँट को उठाया तो इसके नीचे हर पड़ा हुवा था.
अबू बक्र के कई वाक़िए है जो उनकी वहशत के नमूने हैं. बेटी कि मरम्मत में वज़ू की आयत नाज़िल हुई, हसीद बिन हुज़ैर जैसे जाहिल मुहम्मद के हमराह हुआ करते थे.

बुखारी २१९
मुहम्मद कहते हैं पांच चीजें मुझको ऐसी अता की गईं कि मुझ से पहले किसी रसूल को न अता हुईं . . .
१-मुझ में ऐसा रोब पैदा किया गया (जो किसी और में न था)
*मुहम्मद अपने ज़माने के सब से बड़े गुंडे थे. जिससे ज़माना डरा करता था. दुन्या में मुसलामानों की तादाद मुहम्मदी जरायम की परछाईं है.
२-तमाम ज़मीन को मेरे लिए सजदा गाह बना दिया गया. गर पानी न हो तो तयम्मुम से पाक होना.
*हर हुक्मरान के लिए सारी ज़मीन सजदा गाह होती है. अलबत्ता तयम्मुम ने मुसलमानो के लिए गंदगी फैला दिया है कि बगैर नहाए धोए वह हफ़्तों पाक रहता है.
३- माले-गनीमत मुझ पर हलाल कर दिया गया जो हम से पहले सब पर हराम हुवा करता था.
*माले-गनीमत मुहम्मद के सिवा किसी कौम के हुक्मराँ ने हलाल न क़रार दिया. हमेशा किसी जायज़ हुक्मराँ के लिए ये हराम रहा है. चोर, डाकू और लुटेरों को इस कुकर्म की सजा मुक़ररार होती है. इस गलाज़त को मुहम्मद ने हलाल करार देकर दुन्या के तमाम मुसलमानों को गलाज़त ख़ोर बना दिया है.
जज़्या और माले-गनीमत ईजाद करने वाले अल्लाह के रसूल के दामन पर लगा हुवा एक बद नुमा दाग है. अच्छा है कि ये दूसरी कौमों के लिए हराम है.
४- मुझको शिफाअत अता की गई.
*आप की हदीसें गवाह हैं कि आप कितने बड़े मसीहा हैं. पाक साफ़ खाने और पानी में थूक कर आप मसीहाई करते थे. ईसा मसीह की नकल में मसीहा भी बन गए.
५- मैं तमाम आलम के लिए नबी मुक़र्रर किया गया जब कि इससे पहले अपनी अपनी कौमों के लिए नबी हुआ करते थे.
*कुरान में नबियों की झूटी कहानी गढ़ गढ़ के खुद को नुमायाँ करते हो. मूसा और दाऊद के सिवा कोई न हुवा जो कि यहूदियों के लिए लूटमार करते थे,
तमाम सच्चे नबी आलमे-इंसानियत की नबूवत करते थ\हदीस

 बुखारी२२२ 

एक तवील हदीस में दो एक बातें ही काबिले-ज़िक्र हैं कि गुस्ल के लिए पानी न होने पर मिटटी से ग़ुस्ल किया जा सकता है. मुहम्मद कहते हैं,
 " मिटटी का इस्तेमाल करो क्योकि वह तुन्हारे गुस्ल का क़ायम मुक़ाम हो जायगी. "
मुहम्मद मिटटी के ढेले से इस्तेंजा करके पाक हो जाते थे जिसकी पैरवी आज भी आम तौर पर मुसलमान करते हैं. मुहम्मद मिटटी के ढेले से शौच का कम लेते जिसकी पैरवी जुज़वी तौर पर आज भी मुसलमान करते है और कश्मीर में खास तौर से, वह भी मजबूरी पर. मिटटी से गुस्ल कैसे किया जाता है ? ये बात नाक़ाबिले-फ़हेम है. क्या परिदों, चरिदों और दरिदों की तरह धूल गर्द में लोट कर उनकी फ़ितरत को अपनाया जा सहता है? मगर उसमे इंसानी जिस्म को पाकी, तहारत या सफ़ाई नहीं मिलती न ही मुसलमान इस तरीके का इस्तेमाल करता है.

इसी हदीस में ज़िक्र है कि एक औरत को अली, बमय उसके ऊँट के अगवा कर के मुहम्मद के पास ले आते हैं, मुहम्मद उसके मुश्कीज़े से बराए नाम पानी लेते हैं जिसमे इतनी बरकत होती है कि सभी काफ़िला वजू और ग़ुस्ल कर लेता है. इसतरह 'वाटर आफ अरब' का जादू हदीसों में बार बार आता है जो कि देखा गया है कि इसके लिए थोड़े से पानी की ज़रुरत पहले ज़रूर होती है.जो गैर फितरी बात है और पूरी तरह से झूट है.

नादान हदीस नवीस लिखते हैं कि उस औरत ने अपने कबीले में कहा,
 "खुदा की क़सम वह सारी ज़मीन से बड़ा जादू गर है"
जादूगर ? जो जूट का मुजाहिरा करता है.
जाहिलों का कबीला मुहम्मद को बार बार जादूगर कहते हैं, यहीं तक नहीं, कुरान में मुहम्मद खुद को जादू गर कहके अल्लाह के रसूल होने की खबर देते हैं जिसे ओलिमा 'नौज बिल्लाह' कहकर बात को रफ़ू करते हैं.

देखिए कि मुहम्मद का गिरोह खुद तस्लीम करता कि वह लुटेरे हैं.
"इसके बाद मुशरेकीन पर मुसलामानों ने लूट मार शुरू की मगर उस औरत के क़बीले  पर दस्ते-दराज़ी नहीं की."
मुहह्म्मद गिरोह बना कर लूट पाट और क़त्ल ओ गारत गरी करते जोकि बाद में माले-गनीमत की शक्ल में इस्लाम का ज़रिये-हुक्मरानी बन गया. 

जीम. मोमिन 

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