Tuesday 15 July 2014

Hadeesi hadse 116 /4


हदीसी हादसे 4

बुखारी ९० 

झूटों के पुतले मुहम्मद कहते हैं कि "जो उन पर झूट बांधेगा वह दोज़ख में अपना मकान बनाएगा."


*अभी तक अल्लाह ही गैर मुअत्बर है वह पूरी तरह से दुन्या में ज़ाहिर नहीं हुवा तो उसका रसूल होने कि बात ही मुहम्मद को मुजस्सम झूट साबित करता है. उसके बाद बचता क्या है?

बुखारी ९५
मुहम्मद कहते हैं "जो औरतें यहाँ दुन्या में उम्दः लिबास पहनती हैं वह क़यामत में उरयाँ होंगी" 
*कठ मुल्ला की बातें! गोया जो इस दुन्या में मामूली लिबास पहनेगी, वह क़यामत में सुर्ख़ रू होगी. और जो लिबास से ही मुबररा होंगी उनको क़यामत में उम्दः लिबासों में देखा जाएगा. मुहम्मदी फार्मूला तो यही कहता है.

बुखारी १०० 
अबू हरीरा कहते हैं मुहम्मद से उन्हों ने दो इल्म हासिल किए थे जिसमें एक को मैं ज़ाहिर कर चुका हूँ, दूसरा मैं ज़ाहिर करूँ तो मेरी ज़बान काट ली जाए. 
अबू हरीरा मुहम्मद के बहुत क़रीब थे कि दूसरे इल्म को ज़ाहिर नहीं कर रहे. गालिबन वह इल्म "इल्मे-सदाक़त" होगा जो कि मुहम्म्द ने उन से बतलाया होगा, इल्म सदाक़त यह कि मैं झूठा हूँ और मेरा अल्लाह मुकम्मल तौर पर झूठा है.

बुखारी १७३
मुहम्मद का फरमान है कि "जो शख्स जिहाद करते हुए अल्लाह की राह में ज़ख़्मी होता है, क़यामत के दिन अपना ज़ख्म ताज़ा पाएगा जिसमे से मुश्क की खुशबू आ रही होगी."
मुहम्मद जंग, गारत गरी  और बरबरियत के लिए हर हर हरबे इस्तेमाल करने की नई नई चालें ईजाद करते, चाहे उसमें बेवकूफी ही क्यूँ न नज़र आए. ज़ख़्मी शख्स ज़ख्म से परीशान और रुसवा-ए-ज़माना क़यामत के रोज़ ज़ख्म को ढ़ोता रहे, अपने ज़ख्म से मुश्क की खुशबू उड़ाते हुए .

बुखारी १७५
मुन्ताकिम मुहम्मद के पैगाम्बराना मिज़ाज इस वाक़िए से लगाया जा सकता है कि मुहम्मद कितने अज़ीम या कितने कम ज़र्फ़ हस्ती थे, मफ्रूज़ा मोह्सिने-इंसानियत.
मुहम्मद खाना-काबा में मसरूफ इबादत थे कि अबू जेहल और उसके साथियों ने ऊँट की ओझडी उन पर लाद दी. मुहम्मद ने बाद नमाज़ उन नामाकूलों के लिए बद दुआ दी. ये वाकिया शुरूआती दौर इस्लाम का है.
जंगे-बदर में इन नमाकूलो को मुहम्मद ने चुन चुन कर मौत के घाट उतरा. इनकी लाशों को तीन दिनों तक सड़ने दिया, उनको एक एक का नाम लेकर बदर के कुवें में फ़िक्वाया २०-२२ लाशों से उस जिंदा कुवें को पाटा. 
उस वक़्त अरब का वह कुवाँ अवाम के लिए कीमती था ? और सभी मकतूल मुहम्मद के अज़ीज़ और अकारिब थे.

बुखारी १८५
किसी मन चले ने आयशा (मुहम्मद की बीवी) से मुहम्मद के गुस्ल का तरीका जानना चाहा तो आयशा ने परदे के आड़ से उसको मुहम्मद के गुस्ल करने का तरीका बतलाया . एक बर्तन में पानी मंगवा कर तीन मघ पानी सर पर डाल कर गुसल को ख़त्म किया.
इस हदीस से ज़ाहिर है कि पर्दा इतना झीना रहा होगा कि सवाली को आयशा का जिस्म ज़रूर दिखता रहे .
दूसरी बात कि क्या आयशा ज़ुबानी, हरकतों के सहारे गुस्ल का तरीक़ा नहीं बतला सकती थीं, ज़रूरी था परदे के आड़ में नंगा होना?
बुखारी १९०
दारोग गो अनस कहता है कि " मुहम्मद एक रात में अपनी सभी बीवियों के साथ शब् बास हो सकते थे, मुहम्मद की नौ या दस बीवियां थीं. हम लोग आपस में बातें किया करते थे कि मुहम्मद को अल्लाह ने तीस मर्दों की कूवत अता फ़रमाई है"
बजाहिर मुहम्मद की नौ बीवियां थीं.  दसवी अबू सलीम कि बीवी हो सकती है. मुहम्मद अक्सर दिन में उसके घर आराम करते, सोते में वह उनके जिस्म के पसीने को शीशी में भरा करती. दसवीं बीवी का एहतेमाल अनस कर रहा है तो ज़रूर दसवीं भी रही होगी क्योंकि अनस अबू सलीम का बेटा है.
बयक वक़्त नौ दस बीवियाँ रखने वाले मुहम्मद को उनकी उम्मत बजा तौर पर सांड तसव्वुर करती रही होगी.
 

 जीम. मोमिन 

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