Tuesday 4 June 2013

Hadeesi Hadse 87


**************************
बुख़ारी १४८८ 
चोर की दाढ़ी में तिनका 
आयशा से हदीस है कि एक दिन मुहम्मद की मौजूदगी में ओसामा बिन ज़ैद हारसा अपने बाप ज़ैद के साथ (गोया साथ में)लेटे हुए थे कि एक क़याफा दां भी आ गया , उसने दोनों के पाँव को देख कर अर्ज़ किया कि यह दोनों आपस में एक दूसरे के रिश्तेदार हैं। यह सुन कर मुहम्मद बहुत खुश हुए, इस ख़ुशी में मेरे यहाँ भी आए और मुझे भी इस बात की इत्तला दी .
*बाप बेटे के पैरों को देख कर अगर क़याफा दां ने कोई क़यास लगाया तो इसमें क्या खास बात है कि इसे लेकर लोगों में इसकी चर्चा की जाए? 
बात है चोर की दाढ़ी में तिनका के मिस्ल की. दर अस्ल ज़ैद की बीवी और ओसामा की माँ ऐमन हब्शी, मुहम्मद की लौंडी थी और ज़ैद मुहम्मद का ज़र ख़रीद ग़ुलाम, जिनका मुहम्मद ने आपस में निकाह कर दिया था . यह ज़ैद की पहली बीवी थी . ज़ैद तो उस वक़्त नाबालिग था , अरबी कबीलाई रेआयत से लौंडियाँ एलानिया आक़ा  की रखैल हुवा करती थीं , ग़रज़ मुहम्मद का जिंसी तअल्लुक़ ऐमन से था और ओसामा ज़ैद नाबालिग का बेटा न होकर मुहम्मद का ही बेटा था मगर समाजी पेचीदगियाँ इजाज़त नहीं देती थीं कि मुहम्मद इस का एलान करें. 
मुहम्मद ने अपनी तमाम जिंदगी ओसामा हो औलाद की तरह निभाया था . मगर किसी की मजाल नहीं कि उनके खिलाफ जुबां खोल सके , न सिर्फ उनकी ज़िन्दगी में बल्कि आज १४०० साल गुज़र जाने बाद भी .
मुसलमान इस्लाम को नहीं बल्कि झूट और खौफ़ को जी रहे हैं.  

बुख़ारी १५१० 
हदीस है कि एक दिन जिब्रील मुहम्मद के घर हाज़िर हुए और कहने लगे या रसूल अल्लाह यह जो खदीजा खाने का प्याला लिए आपकी खिदमत में हाज़िर हैं जब आप के पास आ जाएं तो इनको परवर दिगार की तरफ से और मेरी तरफ से सलाम कहिएगा . अल्लाह तअला ने इनके लिए जन्नत में खोखले मोतियों का मकान तय्यार किया है जिसमे शोर ओ गोगा कुछ भी न होगा .
*ऐसे शगूफे मुहम्मद बैठे बैठ लोगों में , यहाँ तक कि अपनी बीवियों के सामने छोड़ा  करते थे बातों में नए नए मअनी पैदा करते थे . खोखले मोती की भी कोई सिफत होती है ? मगर मुसलमानों के रसूल ने बात कही है तो ज़रूर कोई न कोई सिफत होती होगी . खोखले अल्लाह , खोखले रसूल और खोखले जिब्रील की दुनिया में आबाद पूरी मुस्लिम कौम खोखली  जन्दगी बसर कर रही है . 

मुस्लिम - - - किताबुल शेर 
चौसर का खेल हऱाम किया 
मुहम्मद ने चौसर खेलना हराम करार दिया और कहा जो शख्स चौसर खेला उसने अपने  हाथ और उँगलियाँ सुवर के खून गोश्त और खून में रंगे 
* चौसर ही क्या हर खेल से मुहम्मद का बैर था। खेलना है तो बस उनके अल्लाह के साथ खेलो . बेरूह नमाज़ें मुहम्मद का पसंदीदा खेल था उसके बाद जाइका बदलो तो रोजा रखो , ज्यादा माल हो तो हज के सफ़र में सर्फ़ करो, खैरात देकर मुसलमानों को भिखारी बनाओ और खेलों का खेल अगर खेलना हो तो जिहाद करो जिसमे माल ए गनीमत मिलने के इमकान हैं .  

बुख़ारी १५२५ 
मुहम्मद नामा 
मुहम्मद के चचा ज़ाद भाई इब्न अब्बास ने बतलाया कि 
मुहम्मद को चालीस साल की उम्र में वही नाजिल हुई . 
इसके बाद तेरह साल वह मक्का में रहे और दस साल मदीना में , 
तिरसठ साल की उम्र में इन्तेक़ाल कर गए ,

* बहुत मुख़्तसर तअर्रुफ़ मुहम्मद का है तफसील कुछ इस तरह है . 
४९ साल में ६५ साला जोरू माता खदीजा के मौत के बाद खुदा का खौफ इनके दिल से जाता रहा। ५० साल की उम्र में बेवा सौदा से अपना दूसरा निकाह किया, मोटी थी दिल को नहीं भाई तो 
दुन्या का रिकार्ड तोड़ते हुए ७ साला आयशा से तीसरा निकाह किया जो बेहिस और बेगैरत अबुबकर की बेटी थी.
५२ साल की उम्र में ८ साल बच्ची के साथ सुहाग रात मनाई
चौथी शादी हिफ्सा बिन्त उम्र से पैगम्बरी का रॉब दिखला कर ज़बरदस्ती की, खूबरू बेवा थी , बाप ने उस्मान के साथ तय कर रखी थी मगर मुहम्मद ने उनकी न चलने दी , आखिर उस से नहीं निभी और तलाक़ दे दिया। 
जिब्रील बीच में पड़े और बगैर हलाला के हरामा जायज़ हो गया। 
पांचवीं शादी ज़ैनब , उम्मुल मसाकीन से की . खूब सूरत बेवा थीं , आठ महीने मे ही रिसालत ही शौहरयत से नजात पाया और मौत के आगोश में पनाह ली .
छटवीं उम्मे सलमा थी , हसीं जमील बेवा थीं, अबुबकर की राल टपकी थी मगर रिसालत ने टांग अड़ा दिया और वह पीछे हट गए .
सातवीं शादी अपनी बहु जैनब को बिना निकाह किए हड़प कर लिया जिसकी छीछा लेदर सूरह अहज़ाब में देखी जा सकती है अल्लाह और उसके रसूल सूरह में नंगा नाच करते हैं और जिबरील ढोलक बजाते है।
आठवीं शादी मुसाफा ही सात महीने की ब्याहता यहूदन ज्योरिया से किया। जो जंग में माल ए गनीमत में साबित के हिस्से में आई थी ,उसने उसे नीलाम पर लगा दिया था जिसे मुहम्मद ने मुफ्त में झटक लिया था।
   नवीं शादी रिश्तेदार हबीबा से हुई जिसको उसके शौहर ने हबशा के जाकर छोड़  दिया था और ईसाई होगया था 
दसवीं शादी जंग खैबर की हसीना से उसके बाप और भाई के लाशों पर रचाई . यह यहूदन साफिया थी . कहते है इसी ने इन्तेक़ामन मुहम्मद को ज़हर देकर मार दिया था .
ग्यारहवीं शादी सफ़र में तनहा चल रहे मुहम्मद ने दुसराहट के लिए बर्रा से की जिसका नाम बदल कर मैमूना कर दिया था .

मुहम्मद ने ग्यारह शादियाँ मुस्तनद तौर पर किया, बहुत सी गैर मुस्तनद हैं जिसे ओलिमा यह कहते हुए नज़र अंदाज़ करते हैं कि अल्लाह बेहतर जाने .

जीम. मोमिन 

No comments:

Post a Comment