Tuesday 11 December 2012

Hadeesi Hadse 64


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हदीसी हादसे 

बुखारी 1142
दो शख्स मुहम्मद के पास आते हैं और अर्ज़ करते है कि हम दोनों के मामले को आप अल्लाह के किताब के हिसाब से निपटा दीजिए . उनमें से पहला बयान करता है कि मेरे बेटे ने इसकी बीवी के साथ जिना कर डाला है, इसके लिए मैंने सौ बकरियां जुरमाना अदा किया और एक गुलाम आज़ाद किया . अब ओलिमा कह रहे है कि मेरे बेटे को सौ कोड़े तो लगेगे ही .
मुहम्मद ने मुक़दमा सुनने के बाद कहा कि तुम्हारे बेटे को सौ कोड़े तो लगेंगे है और एक साल की शहर बद्री भी होगी . तुम्हारी सौ बकरियां तुमको वापस मिल जाएंगी .
इसके बाद मुहम्मद उस औरत के पास गए जिसने जिना कराया था , उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया और उसको संग सार करके मौत के घाट उतर दिया गया .
*खुद मुहम्मद की अय्याशियाँ और जिना कारियां रवाँ दवां थी और मुहम्मद लोगों से कहते फिरते कि अल्लाह ने उनकी अगली और पिछली सारी गलतियाँ माफ़ किए हुए है।

 बुखारी 1144`
क़रार हदीबिया का ज़िक्र इस से पहले के अबवाब में आ चुका है, यहाँ पर मैं अबूबकर की जुबान दानी को उजागर करना चाहूँगा और मुहम्मद की नियत को भी .
अबुबकर इरवा से कहते हैं
" भाग जा अपने माबूद की शर्म गाह (लिंग) जाकर चूस "
इरवा ने लोगों से दरयाफ्त किया, यह कौन है?
लोगों ने कहा अबुबकर , इरवा नाम सुनकर बोला तेरे कुछ एहसान हम पर हैं वर्ना मैं तुझको तेरे लब  ओ लहजे में ही जवाब देता।
इरवा फिर मुहम्मद से मुखातिब हुवा , वह अपनी हर बात पर मुहम्मद की दाढ़ी में हाथ लगा देता, यह देख कर मुगीरा इब्न शोएबः ने कहा
हुज़ूर अक्दस  की दाढ़ी से हाथ अलग रख। ये सुन कर उसने लोगों से पूछा कि
ये कौन है?
लोगों ने बतलाया ये मुगीरा इब्न शोएबः है।
इरवा ने कहा " ऐ दगा बाज़ ! क्या मैं तेरी गद्दारी की दफीयः में कोशिश न की थी (मुगीरा का वाकिया यूं हुवा था कि ये एक गिरोह का हमराही बन गया था , फिर इन लोगों को सोते में क़त्ल करके और उनका सारा मॉल लेकर फरार हो गया था .उसके बाद सीधा मुहम्मद के पास पहुंचा और इस शर्त पर इस्लाम क़ुबूल करने की बात की कि वह अपने लूटे हुए मॉल में से उन को कोई हिस्सा न देगा . मुहम्मद को ऐसे लोगों की सख्त ज़रूरत थी जो क़त्ल के हुनर को और मक्र ओ फ़रेब में यकता हो ,गरज़ मुगीरा को उन्हों ने गले लगाया।
इसी हदीस में एक नामी लुटेरे डाकू अबू बसीर का भी ज़िक्र है।
सुलह हदीबिया के तहत मुहम्मद और कुरैश के दरमियान एक मुआहिदा हुआ था कि मक्का और मदीने से जो लोग  एक जगह से दूसरे के हद में दाखिल हों उन्हें दोनों फरीक अपने यहाँ से वापस उसके हद में भेज दे।
इसी दौरान अबू बसीर मक्के से मदीना आ गया था। इसे वापस करने के लिए कुरैशियों ने दो शख्स मदीना भेजा , मुहम्मद ने क़रार के मुताबिक अबू बसीर को उनके हवाले कर दिया।
रस्ते में दोनों हकवारों को घता बतला कर अबू बसीर उनकी तलवार ले लेता है और एक को क़त्ल कर के भाग जाता है . वह मदीने पहुँच कर मुहम्मद से मिलता है और कहता है
आपने अपने करार के मुताबिक मुझे मक्कियों के हवाले कर दिया, बस आपकी जिम्मे दारी ख़त्म हुई .
उसी वक़्त दूसरा हक्वारा आ जाता है।
अबू बसीर ने खुद को फिर उसके हवाले करने का मुहम्मद की मंशा देखा तो वहां से भाग खड़ा हुवा , वह साहिले-दरया पहुँचा .
उसकी खबर सुन कर मदीने का एक मुजरिम अबू जिंदाल भी उसके पास पहुँच गया। दोनों ने मिल कर कुरैश क़बीलों को लूटना शुरू किया, तो नौबत यहाँ तक आ पहुंची कि  कुरैशियों ने मुहम्मद को इत्तेला किया कि अबू बसीर को बेहतर होगा कि आप अपने पास बुला लें।
इस तरह इस्लाम के सहाबिए किराम इंफ्रादी तौर पर बद किरदार लुटेरे और समाजी मुजरिम हुवा करते थे जिन पर हम दरूद ओ सलाम भेजा करते हैं .
हदीस तवील है जो ग़ैर ज़रूरी है।


जीम. मोमिन 

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