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अल्लाह के बने हुए रसूल यह जो पुडिया छोड़ते हैं ,
यह इनका तसव्वुर है या कल्पना?
जो भी हो दुन्या को उन्हों ने झूट का दाग दर खज़ाना दिया
है. इनके झूट में मुब्तिला इनकी उम्मत झूट को जी रही है.जन्नत की हूर
का जमाल मुलाहिजा हो - - - -
तीसरी हदीस में देखिए किबंदा कैसे कैसे हालत में जन्नती और दोजखी हो जाता है. मुहम्मद की तिकड़म बहुत ही आम्याना है.
अगर ये बात है तो औरतों को खास कर मुस्लिम औरतों को अपने दो तीन बचे दुध मुहे बच्चे मारना बड़ी बात न होगी. आखिर आखरत महफूज़ हो रही है.
रसूल अपने ऊपर ही हँसे.
मुलाहिजा हो इस्लाम की अजमत?
जीम. मोमिन
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