Tuesday 14 February 2012

Hadeesi Hadse 21


आल राउंडर


इक वकेया पुर सोज़ सुनाता मुसाफिर 
सर शर्म से झुक जाय अगर उठ न सके फिर 
कज्ज़ाक मुसलमानों की टोली थी सफ़र में
छः साल का इक बच्चा उन्हें आया नज़र में 
अगवा किया उसे बगरज़ माल ए ग़नीमत 
बेचा मदीने में मुहम्मद ने दी कीमत 
था नाम उसका ज़ैद ,पिदर उसका हरसा 
माँ बाप का दुलारा गुलामी में अब बंधा.

बेटे के गम हरसा पागल सा हो गया 
सदमा   लगा उसे कि मेरा ज़ैद खो गया.
रो रो के पढता रहता जुदाई का मर्सिया 
हर इक से पूछता था गुम   ज़ैद का पता 
"लखते जिगर को देख भी पाऊँगा जीते जी"
गिरया पे उसके रोती    थी गैरों की आंख भी. 
माहौल को रुलाए थी फरयाद ए हारसा 
इक रोज़ उसको मिल ही गया ज़ैद का पता 
पूछा किसी ने हारसा तू क्यूं उदास है 
मक्के में तेरा लाल मुहम्मद के पास है .


भाई को ले के   हारसा  मक्का हुवा 
जो हो सका फिरौती के असबाब कर लिया
देखा जो उसने ज़ैद को बढ़ के लिपट गया 
खुद पाके ज़ैद बाप व् चचा से चिमट गया 
हज़रात से हरसा ने रिहाई कि बात की 
हज़रात ने कहा ज़ैद की मर्ज़ी भी जन ली ?
जब ज़ैद ने रिहाई से इंकार कर दिया 
बढ़ कर नबी ने गोद में उसको उठा लिया.

बेटा हुआ तू मेरा यह अल्लाह गवाह है 
मैं बाप हुवा ज़ैद का मक्का हुवा   गवाह है.
कुर्बान मई बाप थे वास्ते नबी,,, 
उस घर में जवान हुवा  ज़ैद अजनबी. 


क़ल्ब ए सियाह बाप के मज्मूम हैं सुलूक ,
देखें कि ज़ैद को दिए हैं किस तरह हुकूक़.
मासूम था, नादाँ था बालिग न था अभी ,
ऐमन के साथ अक़द में बांधा था तभी .
आमिना की लौंडी थी ऐमन जो थी हब्शी ,
रंगीले मुहम्मद से बस थोड़ी सी बड़ी. 
छोटी खदीजा से मुहम्मद की जोरू माँ.
इक बेटा जना उसने था नाम ओसामा,


तेरा बरस में ज़ैद बना उसका बाप था,
तारीख़ है ओसामा मुहम्मद का पाप था.
ओसामा बड़ा होके मुहम्मद को था अज़ीज़,
सहाबिए किरम था मुस्लिम का बा तमीज़ 


 फिर शादी हुई ज़ैद की जैनब बनी दुल्हन,
रिश्ते में वह नबी की फुफी जाद थीं बहन . 
इक रोज़ दफअतन घुसा ज़ैद घर में जब, 
जैनब को देखा बाप के जांगों में पुर तरब . 
काटो तो उसके खून न था ऐसा हाल था,
धरती में पांव जम गए उठना मुहाल   था. 
मुंह फेर के वह पलता तो बहार निकल गया 
फिर घर में अपने उसने कभी न क़दम रखा 


"ऐमन की तरह चलने दे दोनों का सिलसिला" 
हज़रत ने उसको लाख पटाया ,वह न पटा 


इस्लाम में निकाह के कुछ एहतमाम हैं 
अजवाज के लिए कई रिश्ते हराम हैं 
जैसे कि खाला फूफी चची और मामियां 
भाई बहन बेटीयां बहुओं की हस्तियाँ 
बदबू समाज उठी मज़्मूम फेल की
चर्चा समाज में थी जैनब रखैल की 
बुड्ढ़े के बीवियाँ मौजूद चार थीं
फिर भी हवस में उसको बहु बेटियाँ मिलीं 


लेकिन कोई भी ढीठ पयम्बर सा था कहीं 
लोगों की चे मे गोइयाँ रुकवा दिया वहीँ. 
एलान किया जैनब मंकूहा है मेरी 
है रिश्ता आसमान का महबूबा है मेरी 
जैनब का मेरे साथ फलक पर ही था निकाह 
अल्लाह मियाँ थे क़ाज़ी तो जिब्रील थे गवाह. 


जिब्रील लेके पहुंचे वह्यी जो कि जाल है.
मुंह बोले ,गोद लिए की बीवी हलाल है. 

खौफ़ था खिलक़त का न अल्लाह मियाँ का डर,
जिन्स की दुन्या थे, वह आल राउंडर . .     


No comments:

Post a Comment