Wednesday 26 August 2015

Hadeesi Hadse 171


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बुख़ारी 1345
मुर्ग और गधे की आवाजें 
कठ बैठे मुहम्मद कहते हैं कि जब मुर्ग़ की आवाज़ सुनो तो अल्लाह के फ़ज़ल और नेमत के तलब गार रहो और जब गधे की आवाज़ सुनो तो 'आऊज़ ओ बिल्लाह ए मिनस शैतानुर्रजीम ' पढो , क्योंकि मुर्ग़ फ़रिश्ते को देखता है और गधा शैतान को .
*मुहम्मद इंसान के ही नहीं बल्कि जानवरों के भी दुश्मन हैं, सीधी सादी मखलूक को ज़र्द रू कर रहे हैं। ज़िन्दगी भर गधों पर सवारी की , कभी कभी तो इस पर ऐसा ज़ुल्म करते थे कि डबल सवारी हो जाया करते थे। यह एहसान  फ़रामोशी ?
इस मासूम जानवर के पीछे पड़े रहते, कभी आवाज़ को लेकर कभी सूरत को लेकर।
बुख़ारी 1349
 आदम का क़द 
मुहम्मद कहते हैं कि जब अल्लाह तअला ने आदम को पैदा किया तो उनका क़द 60 हाथ था (करीब 50 मीटर ) इसके बाद कम होते होते इस हद तक आ गया है , लेकिन जन्नत में दाख़िल होने वाले लोग आदम की तरह ही होंगे।
*कुरान की बातें तो खैर मुहम्मद को जिब्रील बतलाया करता था मगर इन हदीसी शगूफों को किसने इनके कान में फूँका ? 
शैतान ने ?
एक जगह कहते हैं कि मुझ से फ़ैसले मत कराया करो, मैं भी तुम्हारे जैसा एक इंसान हूँ , तुम्हारी लफ्फ़ाज़ी में आकर तुम्हें कुछ दे दिया तो समझ लो वह दोज़ख़ का एक टुकड़ा होगा।
उनकी यह बात माक़ूल है मगर इतनी बड़ी बड़ी 50 मीटर की लम्बी गप कहाँ से पाते थे ?
क्या यह बात सच नहीं कि ख़ाली दिमाग़ शैतान का होता है ?
* जब जन्नातियों के क़द 60-60 हाथ के हो जाएँगे तो उनके लिए नई नई मुसीबतें खड़ी हो जाएँगी . दिन भर की पंज वक्ता नमाज़ों की 24 रिकत की उठ्ठक बैठक ही उनकी जान ले लेगी . 
पता नहीं हूरें भी 60 हाथ की होँगी जिनको ऊपर से नीचे तक देखने में ही ज़ाइका बदल जाएगा . या फिर 5 फिटी होंगी जिनको जन्नती मर्द की शक्ल देखने के लिए सीढ़ी लगानी पड़ेगी .
इस क़द्र झूटा और मक्कार पैग़म्बर क्या दुन्या की किसी दूसरी उम्मत के पास होगा , सिवाय मुसलमानों के ?

बुख़ारी  १३५१ 
बदबू दार हदीसें 
"मुहम्मद पुड़िया छोड़ते हैं कि अगर बनी इस्राईल न होते तो गोश्त में बदबू पैदा न हुवा करती और अगर हव्वा न होतीं तो कोई औरत अपने शौहर की ख़यानत न किया करती, यानि यह तरीकः उन लोगों का जारी किया हुवा है, अगर यह लोग ये फ़ेल न करते तो मुसीबत न आती ." 
इस औघड़ को इसका अल्लाह थोड़ी सी अक़्ल सलीम भी देता तो ऐसी बात न करता ,
क्या बनी इस्राईल से पहले यानी याकूब तक गोश्त में बदबू नहीं हुवा करती थी कि उनकी नाक़िस नस्लों के बाद गोश्त में बदबू पैदा होना शुरू हो गई ?
कहता है इस फ़ेल के बाद ?
किसी का तवल्लुद या जन्म लेना उसका फ़ेल कहाँ होता है ? 
मासूम अबोध बच्चे को क्या मालूम रहता है कि जन्म लेने की मुजरिमाना हरकत कर रह है?
पूरी क़ुरआन में "या बनी इस्रईला" की दास्तान गाते गाते, वह हदीस में इनकी ऐसी ज़िल्लत करता है कि इसके वजूद को ही बदबू दार साबित कर दिया. 
दर अस्ल यह हर्ब था यहूदियों को रुसवा करने का .
सारी इंसानियत की मादर ए अव्वल मानी जाने वाली हव्वा को मुहम्मद यूँ मुजरिम क़रार देते है जैसे औरत ज़ात की तमाम खामियों की वजेह हव्वा थी, न वह पैदा होने की ग़लती करतीं, न ही औरत ज़ात में यह खामियाँ मौजूद होतीं .
सानेहा ये है कि ऐसी जाहिल रिसालत की इन बातों को मदरसों में Phd कराई जा रही है . तालिब इल्मों की तलाश (शोघ) यह होती है कि ये हदीस , हदीस ए मख़दूस, मशकूक, बातिल या कमज़ोर तो नहीं? 
यही ग़लीज़ इल्म बच्चों के ज़हनों में भर दिया जाता है जिसे व तमाम उम्र ढोते रहते है. 

जीम. मोमिन 

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