Wednesday 15 April 2015

Hadeesi Hadse 39


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हदीसी हादसे 39

बुख़ारी 1249 + मुस्लिम - - -किताबुल जेहाद 

मुहम्मद कहते हैं धोखे बाज़ी का नाम लड़ाई है। जंग में हीला जायज़ है।
*एक महान आत्मा की बात तो, होना चाहिए कि जंग ही नाजायज़ है मगर मुहम्मद की शररी शख्सियत क्या महान हो सकती है? जंग और इश्क में सब जायज़ है , जैसी भाषा एक पैगम्बर बोले , यह उसका नाजायज़ पैग़ाम है। 
 महान आत्मा , महात्मा गाँधी का पैगाम अहिंसा है, जो कि  एक सच्चा पैगाम।
अज़ीम मुफ़क्किर दाओ कहता है - - -
जो दूसरों को जानता है, वह ज़हीन होता है, जो खुद को पहचानता है, वह आलिम होता है।
जो दूसरों को फ़तह  करता है फ़ातेह होता है, जो खुद को फ़तेह करता है , वह अज़ीम होता है।
हमारे सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम कहाँ जगह पाते हैं ?

बुखारी 1250
जंग ओहद में मुहम्मद की फ़जीहत 

इस हदीस में जंग ए ओहद का मुआमला है, जिसमें मुसलमानों को शिकस्त हुई थी . हदीस तवील है , मुख़्तसर ये कि काफिरों के कमांडर अबु सुफ़ियान ने कैदियों की लश्कर को तीन बार आवाज़ लगाई कि - - -
" मुहम्मद लोगों के दरमियान अगर छुपे हों बहार आकर मेरे सामने हाज़िर हों।"
मुहम्मद को उस वक़्त जंगी क़ानून के मुताबिक बाहर आकर खुद को कमांडर के हवाले कर देना चाहिए था, मगर वह अपना मुंह छिपाए हुए भीड़ में ख़ामोश खड़े रहे । इससे साबित होता है कि वह एक ईमानदार फौजी भी नहीं थे, पैगम्बर होना तो अलग है। वह सज़ा से बच गए , इस लिए कि अबु सुफियान को उम्मीद थी कि कुरैश होने के नाते कुरैश मुहम्मद ऐसी नामर्दी का सुबूत नहीं देंगे।
अबु सुफियान ने एलान किया कि फितने और फसाद की जड़ (मुहम्मद) ख़त्म हुआ, इस तरह जंगे ए बदर का हिसाब चुकता हुवा।
*  काश कि अबु सुफियान 70 मरे हुए कैदियों का फ़रदन फ़रदन शिनाख्त कर लेता और मुहम्मद को जिंदा कैदियों से बहार लाकर उनकी पैगम्बरी का हिसाब लेता और ऐसी इबरत नाक सज़ा देता कि आगे के लिए पैगम्बरी पनाह मांगती और आज की 20% आबादी इस्लामी अज़ाबों में मुब्तिला न होती।
इसी जंग में हुन्दः जिगर खोर ने अपने शौहर के क़ातिल हमज़ा की लाश तलाश करके उसका जिगर निकाल कर कच्चा चबा गई थी।

मुस्लिम - - - किताबुल  
मुहम्मद ने कहा उन चोरों  का हाथ न काटा जाए जिनकी चोरी चौथाई दरहम से कम की हो।
* यानि चवन्नी को चोरी पर हाथ क़लम ! 
वाह !
जिहादी डाके डालने वाले मुहम्मद, किस क़दर अपने समाजी चोरों पर मेहरबान थे .
ज़ालिम मुहम्मद चवन्नी की चोरी पर एक सय्यद ज़ादी के हाथ खुद अपने हाथों से काटे जोकि रिश्ते में उनकी फूफी लगती थीं।
शब खून करबे बस्ती को लूट मार कर तबाह ओ बर्बाद करने वाले का दूसरा रूप था जो आज तक मुहज्ज़ब दुन्या में रायज है।


जीम. मोमिन 

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