Monday 29 September 2014

Hadeesi hadse 14


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हदीसी हादसे 14

बुखारी ६४२ 
हदीस है कि मय्यत को दफ़नाने के बाद जब लोगों की वापसी से जूतों की आवाज़ आएगी तो फ़रिश्ते कब्र में नाजिल होंगे, मुर्दे को उठा कर बैठा देंगे और उससे पूछेंगे कि मुहम्मद के बारे में तेरा क्या ख़याल है? वह कहेगा कि अल्लाह के बन्दे और अल्लाह के रसूल थे. फ़रिश्ते कहेंगे देख तेरा मुकाम पहले दोज़ख में था मगर अब तुझको जन्नत अता होती है. मुहम्मद कहते हैं उसको ये दोनों मुकाम दिखलाए जाएँगे. 
इनके बाद जो मुनाफ़िक़ होंगे वह कहेगे कि जैसा लोग कहते थे वैसा ही मैं भी कहता था, उन के सर पर हथौड़ा चलेगा कि जिसकी आवाज़ जिन्स और इन्सान न सुन पाएँगे बाकी सब सुनेंगे. 

बुखारी ६३९ 
मुहम्मद ने मर्ज़ ए वफात में अपनी बीवी आयशा से कहा यहूदियों और ईसाइयों पर खुदा की मार कि जिनहों ने अपने नबियों की क़ब्रों को सजदा गाह बना रख्खा है. 
आयशा ने कहा हाँ! मुझे खफ़ है कि कहीं आपकी कब्र को भी सजदागाह न बना लिया जाए. 
शायद यह बात गलत है कि मरते वक़्त इंसान के दिल में बुग्ज़ और झूट की कोई जगह नहीं रहती. यह हज़रत कुदूरत के पुतले थे. 

बुखारी ६१७-१८ 
मुहम्मद ने किसी मिटटी में औरतों को शरीक होने से महरूम कर दिया और कहा जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखता है, उसे चाहिए की मौतों का सदमा तीन दिन से ज़्यादः न किया करे. 

बुखारी ६३० 
मुहम्मद अपने लौंडी जने बेटे की खबर लेने चले जो युसूफ लोहार के यहाँ पल रहा था लोहार के घर उसकी भट्टी का धुवाँ भरा हुवा था और बच्चा गालिबन धुवां को बर्दाश्त नहीं कर परः था, वह बेचैन था. मुहम्मद के गोद में आकर बच्चे इब्राहीम ने दम तोड़ दिया. जिसे मुहम्मद ने अल्लाह की मर्ज़ी जाना. लोहार पर कोई इलज़ाम न दिया जिसकी वजेह से बच्चा मर गया,. 
मुहम्मद साहिबे हसियत थे, बच्चा उनकी निगरानी में पल सकता था. 

बुखारी ६15 

अब्गुल्ला बिन अबी एक मुनाफ़िक़ था जो मुहम्मद की वजेह से मदीने का हाकिम न बन सका. उसने कई बार मुसलमान होने से पहले मुहम्मद से पंगा लिया था. आयशा पर इलज़ाम लगाने का काम इसी ने किया था. दरपर्दा मुहम्मद का जानी दुश्मन था, बावजूद इस्लाम कुबूल करने के. 
मुहम्मद ने उसके मरने के बाद उसके मुंह में थूक कर
 अपनी पैगम्बरी निभाई थी या दुश्मनी, इस बात को वह खूब जानते हैं.

बुखारी ५४१
मुहम्मद के दिमाग में फितूर जगा और उसके तहत दौरान नमाज़ वह एक क़दम आगे बढे फिर वापस आकर अपनी जगह पर कायम हो गए. ज़ाहिर है उनकी इस हरकत को उनके पीछे खड़े नमाजियों ने देखा. बाद नमाज़ लोगों ने इसकी वजेह पूछी? कहने लगे नमाज़ में पहले मेरे सामने जन्नत पेश की गई , मैं आगे बढ़ा कि इस में से एक अंगूर का खूष तोड़ लूँ, अगर मैं तोड़ लेता तो क़यामत तक तुम लोग इसको खाते.
उसके बाद मुझे दोज़ख दिखलाई गई, कहा इस जैसा मंज़र मैंने कोई नहीं देखा. इसमें रहने वाली अक्सर औरतें दिखाई दीं, सवाल उट्ठा क्यों?
कहा ये नाशुकुरी ज़्यादः होती हैं लोगों ने पूछा क्या खुदा की नाशुकुरी करती हैं?
बोले -- अपने खाविंद की नाशुकुरी ज्यादः करती हैं, एहसान फरामोश होती हैं. अगर तुम इनमें से किसी के साथ एहसान करते रहो, लेकिन वह ज़रा सी बे उन्वानी की बात पर कह देती हैं हमने तुम में कोई अच्छाई नहीं देखी.

जीम. मोमिन 

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