Tuesday 2 September 2014

Hadeesi hadse 11


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हदीसी हादसे 11


बुखारी ४७१ -७२-७३ 
मुहम्मद मुसलमानों के लिए सवाबों का मिक़दार मुक़र्रर करते है, कहते हैं जो शक्स जुमे की नमाज़ के लिए नहा धो कर पहली साइत चला उसको एक ऊँट की क़ुरबानी का सवाब मिलता है. दूसरी साइत में चला उसको एक गाय की क़ुरबानी का सवाब मिलता है, जो तीसरे साइत चलता है उसे एक सींग दार बकरी की क़ुरबानी का सवाब मिलता है, चौथी साइत चलने वाले को एक मुर्गी की क़ुरबानी का सवाब मिलता है और पांचवीं साइत जाने वाले को एक अंडे के सदके का सवाब मिलता है. 
* मुहम्मद ने बतलाया ही नहीं कि जुमे की नमाज़ ही न पढने वाले को कितना अज़ाब मिलता है? शायद एक हाथी के बराबर का अज़ाब. 
मुसलामानों ने मुहम्मदी अल्लाह के सवाबों और अज़ाबों का वज़न किस तरह उनके अल्लाह ने मुक़र्रर क्या? कभी कोह ए सफ़ा के बराबर तो कभी एक अंडे के बराबर. इन घामडों को इस्लाम के अक्ल का अँधा बना रख्खा है.
मुहम्मद कहते हैं जुमा से जुमा तक साबित कदमी से खशबू लगाकर नमाज़ अदा करने वालों के तमाम हफ्तावारी गुनाह मुआफ हो जाते हैं.

बुखारी ४६३ 
लहसुन 
मुहम्मद ने कहा जो शख्स लहसुन खाकर मस्जिद में आए, वह मेरे साथ नमाज़ों में शरीक न हो. 
*हिदू मैथोलोजी लहसुन को अमृत मानती है मगर इसे राक्षस का उगला हुवा मानती है जो कि सागर मंथन से दस्तयाब हुवा था. 
आज भी लहसुन दस्यों मरज़ की दवा बनी हुई है. इसके आलावा लहसुन टेस्ट मेकर है, मसालों में लहसुन अपना मुक़ाम रखती है. मुहम्मद को फायदे मंद चीजों में नुकसान नज़र आता है और मुज़िर में फायदा. 

बुखारी ४४२ 
किसी ने मुहम्मद से पूछा कि क्या क़यामत के दिन हम लोग अल्लाह का दीदार कर सकते हैं? जवाब था कि क्या बगैर अब्र छाए चाँद को देखने में तुम्हें कोई शक है? लोगों कहा कहा नहीं नहीं. फिर मुहम्मद ने कहा बस क़यामत के दिन बिना शक शुबहा अल्लाह का दीदार होगा. हिदायत होगी हर गिरोह उसके साथ हो जाय जिसकी इबादत करता था, बअज़ आफ़ताब के साथ होंगे, बअज़ माहताब. बअज़ शयातीन ले साथ, अलगरज़ सिर्फ यही उम्मत मय मुनाफ़िकीन के बाकी रहेगी. इस वक़्त खुदाय तअला इनके सामने आयगा. इरशाद होगा हम तुम्हारे रब है, वह कहेगे हम पहचानते हैं. इसके बाद दोज़ख पर पुल रखा जायगा. तमाम रसूलों में जो सब से पहले इस पुल से गुजरेंगे वह मैं हूँगा. इस दिन सब रसूलों का कौल होगा "ऐ खुदा हम को सलामत रखना. ऐ खुदा हम को सलामत रखना. " दोज़ख में सादान के काँटों के मानिंद आंकड़े होंगे. अर्ज़ होगा, हाँ! 
फ़रमाया बस वह सादान के काँटों की तरह ही हैं इनके बड़े होने का मिकदार खुदा ही जनता है. 
हर एक के आमाल के मुताबिक वह खीँच लेगे - - - 
*तहरीर बेलगाम बहुत तवील है जिसे न हम झेल पा रहे है न आप ही झेल पाएँगे. इसका सारांश क्या है ? एक पागल की बड़ जो फिल बदी बकता चला जाता है. 
मुसलमान इसी में उलझे हुए हैं की ये बला है क्या ? 

बुखारी ३९५ -४०४
कठ्बैठे मुहम्मद कहते हैं "जो शख्स नमाज़ में पेश इमाम से पहले सजदे से सर उठता है, उसको इस बात का खौफ़ नहीं रहता कि खुदा उसका सर गधे के सर की तरह कर देगा ." 
*नमाज़ों की पाबंदी रखने वाला मुसलमान सजदे में पड़ा हुआ है, उसे कैसे मालूम हो कि पेश इमाम ने सर उठाया या नहीं. मगर मुहम्मदी अल्लाह सब के सरों की निगरानी करता रहता है. वह ज़ालिम दरोगा की तरह बन्दों की हरकत पर नज़र किए रहता है. इसी तरह मुहम्मद कहते हैं कि "नमाज़ों में अपनी सफ्हें सही कर लिया करो वर्ना अल्लाह तअला तुम्हारे चेहरों में मुखालफत कर देगा." 
इससे मुसलामानों को जिस कद्र जल्द हो सके पीछा छुडाएं ,

 बुखारी ३८० 
मुहम्मद ने कहा "जो शख्स सुब्ह ओ शाम जब नमाज़ के लिए जाता है तो अल्लाह उस के लिए जन्नत में तय्यारी करता है." 
*मुहम्मदी अल्लाह को कायनात की निजामत से कोई मतलब नहीं, वह ऐसे की कामों में लगा रहता कि कौन शख्स क्या कर रहा है. 


जीम. मोमिन 

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