Tuesday 3 July 2012

Hadeesi Hadse 43


गोड पार्टिकल
मैं ने हमेशा साइंस दानो को आखिरी सच्चाई का खोजी माना है जो हमेशा अपनी खोज को अब तक सच कहते है. वह इकरार करते हैं कि उनके बाद भी कोई दूसरा सच हो सकता है. इसके खिलाफ हमारे धर्म गुरु अपनी मंतिक से तरह तरह के ईश्वरीय झूट गढ़ते रहते हैं. उनके कल्पना की उड़ान कभी ब्रह्मा, विष्णु, महेश के कार्य कलाप गढ़ती है तो कभी गोड की संतान ईसा गढ़ती है, तो कभी उसके पैगम्बरों को गढ़ लेती है.फिर इनकी दूकाने खोलती है.
आज इक्कीसवीं सदी में सैकड़ो साइंस दान गोड को नहीं बल्कि उसके पार्टिकल को तलाश रहे अर्थात भगवानो खुदा की दुम पकड़ने कि कोशिश कर रहे हैं . वह उसकी पहली हरकत की तलाश में हैं जिसे पाकर वह पूरी की पूरी गाय को समझने का काम कर करेंगे. इन सच्चाइयों को पाकर जब वह दुनया के खुदा को हमें बतलाएंगे तो खयाली खुदाओं का भेद खुल जायगा. कायनातों को नए खुदा की शक्ल दिखलाई जाएगी और यह इंसान सदियों से जो खुदाओं का सजदा और दंगा करता चला रहा है, अपने अतीत पर शर्मिंदा होगा. उसे मालूम होगा कि मख्लूकों में वही सबसे बदतर और सब से बेहतर मखलूक है. सब से ज्यादह समझदार और सबसे बड़ा बे वकूफ इंसान खुद है. बाकी जीव इससे अच्छे और सच्चे हैं.
हमारे साइंस दान जो असली पैगम्बर हैं, हमें इतनी ज़मीनें देंगे कि अगर हम चाहें तो अलग अलग ग्रहों पर तने-तनहा रह सकते हैं. देश प्रदेश नुमा ज़मीनों के फसाद इस दुन्य से उठ हो जाएँगे.
 


बुखारी ४९०
बण्डल बाज़ सहाबी अनस कहता है कि मुहम्मद पहले मस्जिद के खम्बे में टेक लगा कर खुतबा दिया करते, फिर जब मिम्बर तैयार हो गया तो उसमें टेक लगा कर बोलते.
आगे कहता है कि उस मिम्बर से ऐसी रोने की आवाज़ आती थी गोया दस महीने की गाभिन ऊंटनी की रोने की आवाज़ आती हो.


बुखारी ४७४
रेशमी हुल्लाह (एक किस्म का लिबास) मुहम्मद के हिसाब से मुसलामानों पर हराम है. किसी ने इनको इसका तोहफः दिया जिसे उन्हों ने लेकर अपने ख़लीफ़ा उमर को भिजवा दिया.उसे वापस लेकर उमर मुहम्मद के पास आए और सवाल किया कि जब रेशमी कपडे खुद अपने पर आप हराम करार देते हैं तो मुझे किस इरादे से भिजवाया? (मुहम्मद कशमकश में पड़  गए, कोई जवाब था.
उमर ने उस कुरते को अपने भाई को मक्का में भेज दिया को अभी तक काफ़िर था
*सारे मुआमले झूठे ईमान की अलामत हैं.


बुखारी ४७१ -७२-७३
मुहम्मद मुसलमानों के लिए सवाबों का मिक़दार मुक़र्रर करते है, कहते हैं जो शक्स जुमे की नमाज़ के लिए नहा धो कर पहली साइत चला उसको एक ऊँट की क़ुरबानी का सवाब मिलता है. दूसरी साइत में चला उसको एक गाय की क़ुरबानी का सवाब मिलता है, जो तीसरे साइत चलता है उसे एक सींग दार बकरी की क़ुरबानी का सवाब मिलता है, चौथी साइत चलने वाले को एक मुर्गी की क़ुरबानी का सवाब मिलता है और पांचवीं साइत जाने वाले को एक अंडे के सदके का सवाब मिलता है.
* मुहम्मद ने बतलाया ही नहीं कि जुमे की नमाज़ ही न पढने वाले को कितना अज़ाब मिलता है? शायद एक हाथी के बराबर का अज़ाब.
मुसलामानों ने मुहम्मदी अल्लाह के सवाबों और अज़ाबों का वज़न किस तरह उनके अल्लाह ने मुक़र्रर क्या? कभी कोह सफ़ा के बराबर तो कभी एक अंडे के बराबर. इन घामडों को इस्लाम के अक्ल का अँधा बना रख्खा है.
मुहम्मद कहते हैं जुमा से जुमा तक साबित कदमी से खशबू लगाकर नमाज़ अदा करने वालों के तमाम हफ्तावारी गुनाह मुआफ हो जाते हैं.


बुखारी ४६३
लहसुन
मुहम्मद ने कहा जो शख्स लहसुन खाकर मस्जिद में आए, वह मेरे साथ नमाज़ों में शरीक हो.
*हिदू मैथोलोजी लहसुन को अमृत मानती है मगर इसे राक्षस का उगला हुवा मानती है जो कि सागर मंथन से दस्तयाब हुवा था.
आज भी लहसुन दस्यों मरज़ की दवा बनी हुई है. इसके आलावा लहसुन टेस्ट मेकर है, मसालों में लहसुन अपना मुक़ाम रखती है. मुहम्मद को फायदे मंद चीजों में नुकसान नज़र आता है और मुज़िर में फायदा.


बुखारी ४४२
किसी ने मुहम्मद से पूछा कि क्या क़यामत के दिन हम लोग अल्लाह का दीदार कर सकते हैं? जवाब था कि क्या बगैर अब्र छाए चाँद को देखने में तुम्हें कोई शक है? लोगों कहा कहा नहीं नहीं. फिर मुहम्मद ने कहा बस क़यामत के दिन बिना शक शुबहा अल्लाह का दीदार होगा. हिदायत होगी हर गिरोह उसके साथ हो जाय जिसकी इबादत करता था, बअज़ आफ़ताब के साथ होंगे, बअज़ माहताब. बअज़ शयातीन ले साथअलगरज़    सिर्फ यही उम्मत मय मुनाफ़िकीन के बाकी रहेगी. इस वक़्त खुदाय तअला इनके सामने आयगा. इरशाद होगा हम तुम्हारे रब है, वह कहेगे हम पहचानते हैं. इसके बाद दोज़ख पर पुल रखा जायगा. तमाम रसूलों में जो सब से पहले इस पुल से गुजरेंगे वह मैं हूँगा. इस दिन सब रसूलों का कौल होगा " खुदा हम को सलामत रखना. खुदा हम को सलामत रखना. " दोज़ख में सादान के काँटों के मानिंद आंकड़े होंगे. अर्ज़ होगा, हाँ!
फ़रमाया बस वह सादान के काँटों की तरह ही हैं इनके बड़े होने का मिकदार खुदा ही जनता है.
हर एक के आमाल के मुताबिक वह खीँच लेगे - - -
*तहरीर बेलगाम बहुत तवील है जिसे न हम झेल पा रहे है न आप ही झेल पाएँगे. इसका सारांश क्या है ? एक पागल की बड़ जो फिल बदी बकता चला जाता है.
मुसलमान इसी में उलझे हुए हैं की ये बला है क्या ?


बुखारी ३९५ -४०४
कठ्बैठे मुहम्मद कहते हैं "जो शख्स नमाज़ में पेश इमाम से पहले सजदे से सर उठता है, उसको इस बात का खौफ़ नहीं रहता कि खुदा उसका सर गधे के सर की तरह कर देगा ."
*नमाज़ों की पाबंदी रखने वाला मुसलमान सजदे में पड़ा हुआ है, उसे कैसे मालूम हो कि पेश इमाम ने सर उठाया या नहीं. मगर मुहम्मदी अल्लाह सब के सरों की निगरानी करता रहता है. वह ज़ालिम दरोगा की तरह बन्दों की हरकत पर नज़र किए रहता है. इसी तरह मुहम्मद कहते हैं कि "नमाज़ों में अपनी सफ्हें सही कर लिया करो वर्ना अल्लाह तअला तुम्हारे चेहरों में मुखालफत कर देगा."
*इससे मुसलामानों को जिस कद्र जल्द हो सके पीछा छुडाएं ,


 बुखारी ३८०
मुहम्मद ने कहा "जो शख्स सुब्ह शाम जब नमाज़ के लिए जाता है तो अल्लाह उस के लिए जन्नत में तय्यारी करता है."
*मुहम्मदी अल्लाह को कायनात की निजामत से कोई मतलब नहीं, वह ऐसे की कामों में लगा रहता कि कौन शख्स क्या कर रहा है.

जीम. मोमिन 

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