Wednesday 10 June 2015

Hadeesi Hadse 259


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हदीसी हादसे 48
बुखारी १०१० 
कुछ लोग सफ़र में थे कि रात हो गई, पास की बस्ती में रुक जाने का फैसला किया. बस्ती पहुँच कर बसती वालों से अपनी मेहमान दारी करने की फ़रमाइश की जिसे बस्ती वालों ने इनकार कर दिया. इत्तिफ़ाक से उस बस्ती के मुख्या को किसी ज़हरीले जानवर ने डंस लिया. वह लोग परेशान हो गए, कोई इलाज काम न आ रहा था. मश्विरह ये हुवा कि चलो बस्ती में टिके मुसाफिरों से दरयाफ्त किया जाए कि उनको शायद कोई मंतर मालूम हो. उनके पास जाकर माजरा बयान किया और पूछा कि आप लोगों के पास कोई मंतर है?
उनमें से एक बोला मंतर तो है मगर उसका मावज़ा अदा करना पड़ेगा क्योंकि तुम लोगों ने हमारी मेहमानी करने से इंकार कर दिया था. मुआमला बकरयो के एक रेवड़ पर तै हुवा. मुसाफिर में एक ने 'अल्हम्द' पढना और मुखिया पर दम करना शुरू कर दिया इत्तेफाक से वह मुखिया ठीक होने लगा और कुछ देर में एकदम ठीक हो गया, गोया उन लोगो को उन्हों ने बकरियों का एक रेवड़ दिया ज़िसको उन लोगों ने आपस में बाँटना चाहा कि उनमें से एक ने कहा चलो रसूल अल्लाह के पास मुआमले को बतलाएं फिर बाटें.
वह लोग मुहम्मद के पास आए और मुआमला बयान किया दिल चस्प वाकिए पर मुहम्मद हँसे और उन से पूंछा कि तुम को कैसे मालूम हुवा कि 'अल्हम्द' में मंतर छिपा है? कहा, खैर तुम लोग हिस्सा बाँट लो मगर उसमे मेरा हिस्द्सा भी लगेगा.
*दो बातें सामने आईं कि मुहम्मद अल्हम्द के मुसन्निफ़! हैरत में पड़ गए कि मेरी रचना मंतर का काम भी करती है?
दूसरे यह कि मुहम्मद की नियत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जायज़ नाजायज़ मॉल हजम करने में कितने चाक चौबंद थे.
बुखारी १०११
`"मुहम्मद ने नर को मादा पर चढाने से और इसके बदले पैसा लेने से इंकार कर दिया."
*यह आम तौर पर पेशा हुवा करता था और आज भी है कि लोग नर को पाले रहते हैं कि ये नसले बढ़ने के काम आएगा और इसकी उजरत भी लेते है क्योंकि उन्हें पलने में कुछ लगत है. जायज़ पेशा हुवा.
मुहम्मद की पैगम्बरी अक्ल की पनाह चाहती है कि उजरत न लेते मगर कुदरत के मुआमले में अपनी जिहालत न भरते. अव्वल तो पैगम्बरी शान पर ये ज़ेबा ही नहीं देता कि नर पाले वह भी अन्डू. फिर इस नाज़ेब्गी को अवाम के काम न आने दें. अपनी इसी नज़रिए के चलते वह सांड पालने वालों पर भी बरहम हुवा करते थे और उनको जहन्नमी कहते थे.
बुखारी १०१२
मुहम्मद कहते हैं कि जब कोई तुमको किसी मालदार का हवाला दे तो चाहिए कि तुम उसके पीछे लग जाओ. उसका लाख हीला हवाला उसके काम न आने दो.
* यह मुहम्मद की नाकिस सोंच थी. एक तरफ़ तो उनका कोई मेहनत कशी का पैगाम नहीं है दूसरी तरफ़ मेहनत और हिकमत से मॉल कमाने वालों के पीछे मुफ्त खोर गुंडों को लगा दो?
लूट खसोट मुहम्मद के वजूद में शामिल है.


जीम. मोमिन 

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