Tuesday 21 October 2014

Hadeesi hadse 17


हदीसी हादसे 17
बुखारी 649
उमर के बेटे अब्दुल्ला कहते हैं कि एक रोज़ मुहम्मद, उमर इब्ने सय्याद की तरफ चले. बनू मुगाला के पास इसको बच्चों में खेलता हुवा पाया जो बालिग होने के क़रीब हो चुका था. इसको मुहम्मद के आने की खबर न हुई, जब मुहम्मद ने इसे हाथ से थपका तो इसको पता चला. मुहम्मद ने कहा
"तू इस बात की गवाही देता है कि मैं अल्लाह का रसूल हूँ ?"
 इसने मुहम्मद की तरफ देख कर कहा कि
"हाँ! मैं इस बात की गवाही देता हूँ कि आप जाहिलों के रसूल हैं."
 इसके बाद वह कहने लगा कि
"क्या आप इस बात की गवाही देते हैं कि अल्लाह का रसूल हूँ?"
 मुहम्मद ने उसके सवाल पर कन्नी काटी और कहा,
"मैं अल्लाह के सभी बर हक रसूलों पर ईमान रखता हूँ."
 फिर मुहम्मद ने उससे दरयाफ्त किया
"तुझको क्या मालूम होता है?"
उसने कहा "मुझको झूटी और सच्ची दोनों तरह की ख़बरें मालूम होती हैं."
" मुहम्मद ने कहा तुझ पर मुआमला मखलूत हो गया है"
फिर कहा "मैं ने तुझ से पूछने के लिए एक बात पोशीदा रक्खी है?"
उसने कहा "वह दुख़ है."
मुहम्मद ने कहा "दूर हो तू अपने मर्तबे से हरगिज़ तजाउज़ नहीं कर सकेगा."
उमर ने कहा
"या रसूल लिल्लाह अगर इजाज़त हो तो मैं इसे क़त्ल कर दूं?"
मुहम्मद ने कहा "अगर ये वही दज्जाल है तो तुम इसके क़त्ल पर क़ादिर  नहीं हो सकते, और अगर ये दज्जाल नहीं तो इसको मारने से क्या हासिल?"
राहे-फ़रार के सिवा मुहम्मद को कोई राह न मिली.
इब्ने सय्याद का नाम एसाफ़ था.
*शाबाश " एसाफ़ " तू अपने वक़्त का हीरो था, जिसे मुहम्मद को उनकी हक़ीक़त  समझा दी.
तुझको मोमिन सलाम करता है.




जीम. मोमिन 

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