Tuesday 22 May 2012

Hadeesi hadse 36







बुखारी ५३
"एक शक्स मुहम्मद के पास इस्लाम क़ुबूल करने के किए आया, मुहम्मद ने शर्त लगाई कि तुम्हें मुसलमानों का ख़ैर ख्वाह रहना होगा."
*इस्लाम इंसान को तअस्सुबी और पक्षपाती बनाता है. तअस्सुबी फ़र्द कभी भी ईमान दार नहीं हो सकता और ही मुंसिफ.
बुखारी ५५
"मुहम्मद नमाज़ से पहले वजू (मुंह, हाथ और पैर धोना) करने में एडियों को चीर कर धोने वाले नमाजियों को आगाह करते है कि इस सूरत में एडियाँ दोज़ख में डाल दी जाएंगी"
*मुहम्मदी अल्लाह की बातों को सर आँख पर रख कर जीने वालों को कभी कभी जिंदगी दूभर हो जाती है. दिन में पाँच बार वज़ू करना और उसमें पैरों की बेवाई को चीर चीर कर धोने जैसे सैकड़ों नियम हैं जिनकी पाबन्दी करने पर जन्नत हराम हो जाती है.
नई और बेहतर ज़िन्दगी मुसलमानों को जीते जी हराम सी होती है.
बुखारी ५८
मुहम्मद ने एक बार अपना ख़त कसरा (ईरान के बादशाह) को भेजा जिसे पढ़ कर उसने ख़त के टुकड़े टुकड़े करके हवा में उड़ा दिया. एलची से इसकी खबर मिलने के बाद मुहम्मद ने बद दुआ देते हुए कहा इसके टुकड़े टुकड़े मेरे ख़त की तरह कर दिए जाएँगे.
मुहम्मद के ख़त का फूहड़ नमूना आगे आएगा जिसको पढ़ कर ही गुस्सा आता है . "काने दादा ऊख दो, तुम्हारे मीठे बोलन "
बुखारी ७६
एक दिन मुहम्मद की बड़ी साली इस्मा मुहम्मद के घर गईं, देखा मियाँ बीवी दोनों नमाज़ में लगे हुए थे. इस्मा ने बहन आयशा से पूछा क्या बात है, दोनों नमाज़ों में लगे हुए हो, कोई खास बात है?
क़यामत तो नहीं आने वाली? और इस्मा भी नमाज़ पढने लगीं.
मुहम्मद नमाज़ से फारिग हुए और इस्मा से कहने लगे.
"मुझे वह्यी नाजिल हुई है कि कब्र में जब मुर्दा रखा जाएगा तो उस से सवाल होगा ...
" तू मुहम्मदुर-रसूल्लिलाह के बारे में क्या जानता है ?"
मुर्दा अगर कहेगा
" वह एक सच्चे अल्लाह के रसूल थे, हमारे पास अल्लाह का पैगाम लेकर आए थे." तो वह जन्नत में जाएगा
और अगर कहेगा
" नहीं मैं नहीं जानता" तो जहन्नम रसीदा होगा.
*मुहम्मद के ज़मीर में कितनी गन्दगी थी कि किसी लम्हे अपनी खुद नुमाई से चूकते. इतना झूट सर पर लादे हुए ज़िन्दगी गुज़रते?
बुखारी ९०
झूटों के पुतले मुहम्मद कहते हैं कि "जो उन पर झूट बांधेगा वह दोज़ख में अपना मकान बनाएगा."
*अभी तक अल्लाह ही गैर मुअत्बर है वह पूरी तरह से दुन्या में ज़ाहिर नहीं हुवा तो उसका रसूल होने कि बात ही मुहम्मद को मुजस्सम झूट साबित करता है. उसके बाद बचता क्या है?
बुखारी ९५
मुहम्मद कहते हैं "जो औरतें यहाँ दुन्या में उम्दः लिबास पहनती हैं वह क़यामत में उरयाँ होंगी"
*कठ मुल्ला की बातें! गोया जो इस दुन्या में मामूली लिबास पहनेगी, वह क़यामत में सुर्ख़ रू होगी. और जो लिबास से ही मुबररा होंगी उनको क़यामत में उम्दः लिबासों में देखा जाएगा. मुहम्मदी फार्मूला तो यही कहता है.
बुखारी १००
अबू हरीरा कहते हैं मुहम्मद से उन्हों ने दो इल्म हासिल किए थे जिसमें एक को मैं ज़ाहिर कर चुका हूँ, दूसरा मैं ज़ाहिर करूँ तो मेरी ज़बान काट ली जाए.
अबू हरीरा मुहम्मद के बहुत क़रीब थे कि दूसरे इल्म को ज़ाहिर नहीं कर रहे. गालिबन वह इल्म "इल्मे-सदाक़त" होगा जो कि मुहम्म्द ने उन से बतलाया होगा, इल्म सदाक़त यह कि मैं झूठा हूँ और मेरा अल्लाह मुकम्मल तौर पर झूठा है.

जीम. मोमिन 
 

2 comments:

  1. समझ मे नही आता की एक इन्सान ने ( मुहमन्द ) आधी दुनिया को बेवकुफ कैसे बना दिया,

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  2. Hello sir aap bukjari 76 aisa kyo likh rahe hai mujhe kuch smjh nhi aa raha aap bukhari 76, 45 ka mtlb kya hai. Aisa refrence de bukhali jild book number hadis number aisa de

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